न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव (Military tensions between India and China) अपने चरम पर जा पहुँचा है। उपजे हालातों को काबू में लाने के लिए दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरलों के बीच तीसरी वार्ता (Third talks between lieutenant generals) का दौर चल रहा था। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल 12 घंटे चली ये बैठक किसी ठोक नतीज़े पर नहीं पहुँची।
कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह (Commander Lt Gen Harinder Singh) और दक्षिणी शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर जनरल लियु लिन (General Liu Lin of Southern Xinjiang Military Area) के बीच लद्दाख के चुशूल में ये बैठक हुई। इससे पहले भी दो स्तरों पर तनाव कम करने के लिए बैठकें की गयी थी। जिससे कुछ खास़ नतीज़ा नहीं निकला।
कयास ये भी लगाये जा रहे है कि, सैन्य तनाव कम करने के लिए कुछ और शंति वार्ताओं के दौर का आयोजन दोनों देशो कर सकते है।
इससे पहले दोनों देशों के बीच 6 और 22 जून को बैठकें हुई थी। 22 जून को हुई बैठक के दौरान दोनों पक्ष आपसी सहमति से पूर्वी लद्दाख के मोर्चे पर पीछे हटने के लिए तैयार हो गये थे। 22 जून के बाद इस इलाके की सैटेलाइट इमजे (Satellite images) सामने आयी। जिसमें साफ देखा गया कि, पीएलए (PLA) पैंगोंग सो में हेलिपैड बना रहा है।
गलवान घाटी और डेपसांग दर्रे (Depsang pass) के पास सैन्य हलचल में काफी बढ़ोत्तरी देखी गयी। भारतीय सेना (Indian Army) ने इस मोर्चे पर लंबे समय तक तैनात रहने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। जानकारों की मानें तो दोनों देशों के सैनिकों की तैनाती सर्दियों में भी देखने को मिल सकती है।
दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना एलओसी पार गिलगिट-बालटिस्तान (Gilgit-Baltistan) इलाके में अपनी मौजूदगी और तैनाती एकाएक बढ़ा रही है। जिसके लिए इस संवेदनशील इलाके में 20 हज़ार अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया है। सैन्य हलचल के बीच इलाके में भारी होवित्ज़र (Heavy howitzer) को भी तैनात किया जा रहा है। बख्तरबंद गड़ियों (Armored Vehicle) द्वारा इस सीमाई इलाके में गोला-बारूद की आपूर्ति की भी खब़रे सामने आ रही है।
मौजूदा नाज़ुक हालातों के बीच भारतीय सेना ने अपनी पूरी ताकत लद्दाख के पूर्वी मोर्चे पर झोंक रखी है। पीएलए और भारतीय सेना के बीच स्टैंडऑफ (Standoff) के हालात बने हुए है। ऐसे में पाकिस्तानी आर्म्ड फोर्सेस (Pakistani Armed Forces) का एकाएक मोबाइलाजेशन (Mobilization) कई बड़े सवाल खड़े करता है। सीधे तौर पर ये पूर्व-निर्धारित सुनियोजित योजना का हिस्सा लगता है। फिलहाल मिलिट्री इंटेलीजेंस (Military intelligence) हालातों पर नज़र बनाये हुए है।