मृतक कॉरोना वारियर्स डॉक्टर (Corona Warriors Doctors) हो तो 6 दिन में सभी मदद, गर सफाई कर्मचारी हो तो ढाई महीने बाद भी इंतज़ार
कुंदन वत्स (नई दिल्ली): हम सभी मानते है कि कॉरोना वारियर्स सभी एक समान है चाहे वो डॉक्टर हो, पुलिस (police) हो या सफाई कर्मचारी (housekeeping staff) हो क्योंकि सभी विपरीत परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे है लेकिन वहीं कॉरोना वारियर्स दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहे है एक तरफ जान की परवाह किये बगैर पूरे मनोयोग से अपनी सेवा देकर दिल्ली (Delhi) को बचा रहे है वहीं दूसरी तरफ मृत्युं का शिकार होने पर सरकारी सहायता के लिए उन्हें प्रदेश सरकार की भेदभावपूर्ण नीति का शिकार भी होना पड़ रहा है।
क्यों लग रहा है दिल्ली सरकार पर भेदभाव का आरोप:
हाल ही में LNJP में सेवा दे रहे डॉक्टर असीम गुप्ता (Asim Gupta) कॉरोना संक्रमण (Corona infection) के कारण 28 जून को शहीद हो गए। डॉक्टर गुप्ता की दुःखद मृत्युं होने पर 6 दिन में 1 कऱोड की सहायता राशि खुद केजरीवाल देने उनके निवास स्थान दिलशाद गार्डन आते है क्योंकि डॉक्टरों का संगठन मजबूत है और प्रदेश सरकार जल्दी उनकी बातें भी सुनती है ऐसा कई मौकों पर देखा गया है।
वहीं दूसरी तरफ़ एक दलित विनोद जो कि सफाई कर्मचारी के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे, इनकी 24 अप्रैल को कॉरोना संक्रमण के कारण दुःखद मृत्युं हो गई लेकिन ढाई महीने बीत जाने के बाद भी न तो दिल्ली सरकार (Delhi Government) का कोई नुमाइंदा उनके घर सांत्वना देने गया और न ही 1 कऱोड रुपये की सहायता राशि दी गई।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार आज भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहा है। हो सकता है इसके पीछे सफाई कर्मचारियों का संगठन इतना मजबूत न हो कि 6 दिन में मदद दिला सकें लेकिन कम से कम अरविंद केजरीवाल सरकार को ढाई महीने बीत जाने के बाद उनका हक उनके आश्रितों को दे देना चाहिए था।
कॉरोना वारियर्स की मृत्युं पर क्या है दिल्ली सरकार का प्रावधान:
दिल्ली सरकार के प्रावधान के अनुसार कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल किसी भी कर्मचारी की यदि कोरोना के संक्रमण से मौत होती है तो दिल्ली सरकार की ओर से उसके परिवार को 1 करोड़ की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इस सहायता राशि में स्वास्थ्य कर्मी डॉक्टर नर्स, सफाई कर्मी, टीचर, सिविल डिफेंस कर्मी, पुलिस समेत वो सभी लोग शामिल होंगे जो कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में ड्यूटी कर रहे हैं।
मृतक कॉरोना वारियर्स की पत्नी और कर्मचारी संगठन देंगे मुख्यमंत्री आवास पर धरना:
शहीद विनोद के मृत्युं पर सहायता में देरी और शहीद हुए डॉक्टर असीम गुप्ता की मृत्युं पर सरकार द्वारा एक दफ़्ते के अंदर मदद पहुंचाने पर दिल्ली सफाई कर्मचारी एक्शन कमिटी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र सिंह ने ईमेल के जरिये मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखकर नाराज़गी व्यक्त की है और 5 जुलाई को मृतक की पत्नी के साथ मुख्यमंत्री आवास के सामने धरने पर बैठने की चेतावनी दी है।
क्या दिल्ली में एक खास जाति को दी जा रही है, प्रिविलेज:
आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा अक्सर यूपी सरकार पर आरोप लगाया जाता है कि वो ठाकुरवाद को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में सवाल उठता है क्या केजरीवाल सरकार भी जातीय विवशता के कारण ही शहीद डॉक्टर गुप्ता जी के परिवार के पास 6 दिन के भीतर आये थे और उनके मामलें में एक हफ्ते के अंदर इतनी तेजी से सहायता राशि भी जातीय विवशता के कारण जारी की गई?
वहीं दलित विनोद के मामलें को जातीय भेदभाव का शिकार होकर ढाई महीने बीत जाने के बाद भी सिर्फ इंतज़ार का सामना करना पड़ रहा है? इसका जवाब कुछ हद तक महीनों पहले हुए दिल्ली चुनाव के आंकड़े खंगालने पर मिलता है जिसमें केजरीवाल सरकार के पक्ष में भाजपा से छिटक कर बड़ी संख्या में वैश्य समाज की गोलबंदी हुई थी और इस विषय में तेजी दिखाकर कहीं न कहीं केजरीवाल अपने वोट बैंक को एड्रेस बही कर रहे है।
इस तरह का भेदभाव या जाति के आधार पर प्रिविलेज का मामला वो भी एक मुख्यमंत्री द्वारा अपनाया जाना समाज में एक गलत संदेश प्रेषित करेगा और कॉरोना के खिलाफ पूरे मनोयोग से जान की परवाह न करते हुए लगे हुए सफाई कर्मचारी बंधुओं का हौसला कमजोर करेगा। इसलिए दिल्ली सरकार को अविलंब शहीद विनोद के परिवार को सहायता राशि जारी कर और स्वंय पहुंचकर ढांढस बंधवाना चाहिए।
साथ ही, कॉरोना संक्रमण से लड़ रहे सभी विभागों के कर्मचारियों से एक जैसा ही व्यवहार करना चाहिए क्योंकि इस समय हम एक ऐसी लड़ाई को लड़ रहे है जिसकी वैक्सीन वर्तमान में यहीं कॉरोना योद्धा है जिनमें एक भी चैन टूट गई या सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चले गए तो पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रही दिल्ली को संभालना मुश्किल हो जाएगा।