जो भी इस पोस्ट को देख पा रहे हैं और CAA के समर्थक है वह जरा इस प्रश्न का जवाब दे जो असम की बीजेपी सरकार के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा पूछ रहे हैं..….CAA के अंतर्गत नागरिकता की माँग रखने वाला अपीलकर्ता यह कैसे साबित करेगा कि वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुआ है? या वो यह कैसे साबित करेगा कि वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर ही भारत में आया है?
हेमंत बिस्वा ने अपने इस बयान के बाद इसे और विस्तारपूर्वक समझाते हुए कहा कि ‘यह किसी भी इंसान के लिए असंभव है कि वो बांग्लादेश जाए और धार्मिक प्रताड़ना के खिलाफ थाने में दर्ज कराई गई अपनी शिकायत का कोई प्रमाण पत्र लेकर आए।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘अगर किसी इंसान को यह साबित करना है कि वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुआ है तो उसे थाने में दर्ज कराई गई शिकायत की कॉपी लाने के लिए वापस बांग्लादेश जाना होगा…बांग्लादेश का वो पुलिस स्टेशन उसे एफआईआर की कॉपी क्यों देगा? इसलिए मैंने यह कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत किसी के लिए यह साबित करना नामुमकिन है कि वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुआ है।’
अब बुलाइए उन्हें जो CAA के समर्थक बने घूम रहे हैं! और अब दीजिए जवाब असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा को ?
कोई नही आएगा क्योकि उनके पास तर्क नही है उनका काम सिर्फ भावनाओं को भड़काने से चल रहा है।
इस बयान से साफ हो जाता है कि यह कानून घुसपैठिए को नागरिकता देने का जरिया बनकर रह जाएगा ……कोई भी व्यक्ति वह चाहे जिस भी इंटेशन से आया हो चाहे वह जासूसी के मकसद से हो या चोरी या उठाईगिरी के मकसद से हो वह मुँह उठाकर चला आएगा ओर कहेगा कि मुझे धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया गया है मुझे भारत की नागरिकता चाहिए……. ओर इस नए कानून के तहत आपको उसे नागरिकता देना होगी क्योंकि वह व्यक्ति गैर मुस्लिम है।
यह बेहद मूर्खतापूर्ण क़ानून है और इसका नतीजा एक न एक दिन सभी नागरिकों को भुगतना ही होगा..…. मूर्खों को सिर्फ इसमे मजा आ रहा है कि उन्हें लग रहा है कि सिर्फ मुस्लिम इसका विरोध कर रहे है इसलिए यह बहुत अच्छा कानून है मोदी जी इसका इस्तेमाल कर एक खास़ समुदाय के लोगों की नकेल कस दी है….लेकिन वह नही जानते कि इसका असली इम्पेक्ट क्या होने वाला है असम और पूर्वोत्तर के लोग अच्छी तरह से समझते है ओर इसीलिए बीजेपी के स्थानीय नेता भी उसका विरोध कर रहे हैं।
साभार- गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से