न्यूज़ डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): चीन की ओर से एक ओर नयी महामारी का खतरा अब दुनिया पर मंडराता दिख रहा है। कोरोना के बाद अब उत्तरी चीन से ब्यूबानिक प्लेग (Bubonic plague) फैलने की खबरें सामने आ रही है। आधिकारिक तौर पर अभी इसका एक संदिग्ध मामला दर्ज किया गया है।
चीनी प्रशासन द्वारा मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, इस मंगोलियाई प्रभाव वाले स्वायत्त इलाके (Mongolian-dominated autonomous areas) में अलर्ट जारी कर दिया गया है। फिलहाल संक्रमित को बयन्नुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। मरीज की गहन स्वास्थ्य देखभाल की जा रही है।
इस संक्रमण दुनिया के कई हिस्सों में काली मौत (Black death) के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Health experts) के मुताबिक अब तक ये संक्रमण दुनिया में तीन बार दस्तक दे चुका है। जंगली चूहों से फैलने वाला ये संक्रमण अगर बेकाबू हो जाता है तो, इसे रोकने में तकरीबन 6 महीने से ज़्यादा का वक़्त लग सकता है। जोखिम का खतरा साल के आखिरी महीने तक बना रहेगा।
ये इंफेक्शन इतना खतरनाक है कि, साल 1341 से 1351 के दौरान यूरोप की एक-तिहाई आबादी इसकी चपेट में आकर खत्म हो गयी थी। पहली बार इसके संक्रमण फैलने का मूल स्थान इथोपिया (Ethiopia) था। इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पहले गिल्टियां निकलती है, दो हफ़्ते बाद ये गिल्टियां पक जाती है जिसमें से मवाद निकलती है। इस दौरान संक्रमित व्यक्ति (Infected person) को बेहद जलन महसूस होती है।
इस खब़र के मद्देनज़र कई बड़े सवाल खड़े होते दिख रहे है। जैसे कि मौजूदा दौर में गंभीर संक्रमण फैलने के सारे मामले आखिर चीन से ही क्यों सामने आ रहे है? वन्य जीवों के मांस की खरीद-फरोख्त पर लगाम कसने के बावजूद बीजिंग इसे ज़मीनी स्तर पर लागू क्यों नहीं कर पा रहा है?
एक के बाद एक महामारी का सिलसिलेवार तरीके से आना (Epidemic cycle) क्या किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा है? क्या चीन विस्तारवाद को बढ़ावा देने के लिए पूरी दुनिया पर जैविक हमले (Biological attack) करवा रहा है? इस पूरे मामले पर संयुक्त राष्ट्र का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।