विद्यार्थियों के लिए फऱवरी-मार्च का महीने परीक्षाओं में बीतता है। ऐसे में उन पर अच्छा प्रदर्शन करने का भारी दबाव रहता है। इसी के मद्देनज़र आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ‘परीक्षा पर चर्चा 2020’ (Pariksha Pe Charcha 2020) कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देशभर से आये 2000 से ज़्यादा छात्रों ने शिरकत की। इस दौरान कई छात्रों ने प्रधानमंत्री से सीधा संवाद स्थापित किया। वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से देश के अलग-अलग हिस्सों के छात्रों ने अपने प्रश्न और अनुभव पीएम मोदी से साझा किये। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को तनाव मुक्त रहकर परीक्षा में बैठने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी संबोधन की मुख्य बातें
- 2020 नया साल नहीं नया दशक है। हिन्दुस्तान के लिए यह दशक बेहद अहम है। परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम मेरे हृदय के निकट है। युवा मन क्या सोचता है, इसका मुझे भान है। युवा पीढ़ी से बात करना ताज़गी भरा अनुभव है। माता-पिता का बोझ मुझे भी हल्का करना है।
- चंद्रयान-2 लॉचिंग के वक़्त आप सब रातभर जाग रहे थे। जब लॉचिंग सफल नहीं हुई तो पूरा हिंदुस्तान निराश हो गया। कभी-कभी विफलता हमको ऐसा कर देती है। मुझे लोगों ने वहां जाने से मना किया लेकिन मैंने जाने का निर्णय किया। जब मुझे चंद्रयान-2 फेल होने के बारे में पता चला तो मैं ढ़ग से सो नहीं पाया। एक बेचैनी सी बनी रही। मैंने इसरो वैज्ञानिकों से मिलने के लिए अपना प्रोग्राम बदला। मैं उनसे मिलना चाहता था। सुबह सभी से मिला और अपने जज़्बात जाहिर किए। वैज्ञानिकों की मेहनत को सराहा जिसके बाद पूरे देश का माहौल बदल गया।
- सफलता-विफलता का टर्निंग पॉइंट अंक बन गए हैं। मन इसी में उलझा रहता है कि एक बार अधिक मार्क्स ले आऊं। अभिभावक भी ऐसा ही करते हैं। 10वीं के बाद 12वीं और उसके बाद एंट्रेंस परीक्षाओं के लिए अभिभावक छात्रों पर तनाव बनाते हैं। आज जिंदगी बदल चुकी है…अंक मात्र एक पड़ाव हैं लेकिन ये जीवन है और मार्क्स ही सब कुछ नहीं है, ये नहीं मानना चाहिए। हमें इस सोच से बाहर आना चाहिए। बच्चों के माता-पिता से प्रार्थना करूंगा कि वो बच्चों पर प्रेशर न डालें…बच्चों को उनके मन की भी करने दें।
- शिक्षा के साथ ही नई दुनिया में कदम रखते हैं…जब बच्चे ABCD सीखते हैं तो इसका अर्थ है कि वो नई दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। ‘क ख ग घ’ से शुरू करते हुए वो कहां पहुंच गया। जो हम सीखते-समझते हैं उसे रोजाना कसौटी पर कसना चाहिए।
- देश में अरुणाचल प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां के लोग एक-दूसरे से जब मिलते हैं तो जय हिंद कहते हैं….1962 की लड़ाई के बाद अरुणाचल प्रदेश का मिजाज बदला है, वहां के आम लोगों ने सभी भाषाओं को आत्मसात किया है। हमारे कर्तव्यों में ही सबके अधिकार समाहित हैं….अगर मैं शिक्षक के नाते अपना कर्तव्य निभाता हूं तो विद्यार्थी के अधिकार की रक्षा होती है।
- मैं किसी भी अभिभावक पर दबाव नहीं डालना चाहता हूं….मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे कहने के बाद बच्चे बगावती हो जाये…मां-बाप, शिक्षकों को सोचना चाहिए कि बच्चों की क्षमतायें कितनी है….उन्हें बच्चों को मोटिवेट करना चाहिए।