न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): राजस्थान (Rajasthan) सरकार की सियासी स्क्रिप्ट में चल रहा मेलोड्रामा आज नये मोड़ पर पहुँच सकता है। कुछ हद तक ये संभावनायें जतायी जा रही है कि मध्य प्रदेश वाली कहानी यहां दोहरायी जा सकती है। सचिन पायलट के लिए ये लड़ाई राजनीति से कहीं आगे बढ़कर अब अहम का मुद्दा बन गयी है। दूसरी ओर भाजपा भी सिंहासन का हथियाने की ताक लगाये बैठी है। प्रदेश भाजपा से लेकर राष्ट्रीय भाजपा कार्यकारिणी (National BJP Executive) के कई बड़े चेहरे मौका भुनाने के लिए रणनीति तैयार कर रहे है। राजस्थान कांग्रेस के कई नेता से इस बात को बेहिचक कबूल रहे है कि, सचिन भाजपा नेताओं के सम्पर्क में है।
हालांकि सचिन पायलट का मौजूदा रवैया देखते हुए लगता है कि, बामुश्किल ही वो बगावत की राह से वापस लौटेगें। दिल्ली दरबार में बैठी कांग्रेस आलाकमान भी अशोक गहलोत और एसओजी (Ashok Gehlot and SOG) वाले प्रकरण पर खासा नाराज़ है। अनौपचारिक तौर पर कांग्रेसी रणनीतिकार इसे दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल (Senior Congress leader Kapil Sibal) ने तो बीते रविवार को ही ट्विटर पर अपनी नाराज़गी जाहिर कर दी। स्थिति का सामान्य बनाने के लिए कांग्रेस ने जयपुर पर्यवेक्षक (Congress Supervisor) भेजने का फैसला लिया है। लेकिन जिस तरह से सचिन पायलट ने 19 विधायकों (16 कांग्रेसी और 3 निर्दलीय) को होटल में रखा है। उसे देखकर ये नहीं लगता कि सचिन पायलट आसानी से बात मानने वाले है।
सचिन पायलट ने ये भी दावा किया कि, उनके समर्थन में 30 से ज़्यादा विधायक है। खास बात ये भी रही कि, बीते रविवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने सचिन पायलट से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात की। यानि की इस बार सचिन पायलट कांग्रेस आलाकमान से पूरी तरह खिलाफत करने का मन बन चुके है। राजस्थान की सियासी तस्वीर का रूख़ करीब-करीब मध्य प्रदेश के तर्ज पर बनता दिख रहा है।
सचिन पायलट कर सकते है, ये ऐलान
सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मौजूदा सरकार से मत वापस लेकर अशोक गहलोत की लिए राजनीतिक संकट (political crisis) उत्पन्न कर सकते है। जिसके तहत 30 विधायकों के संख्यबल को अलग करने का ऐलान कर सकते है सचिन पायलट। ऐसे में अगर वो सरकार का साथ छोड़ते है तो 170 विधाय़कों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 86 विधायकों के समर्थन की जरूरत अशोक गहलोत को पड़ेगी। फिलहाल कांग्रेस के पास सहयोगी पार्टियों समेत 94 विधायकों के समर्थन का संख्यबल है।
खुले तौर पर वो ये भी ऐलान कर सकते है कि, कितने निर्दलीय विधायक (Independent MLA) उनके सम्पर्क में है। अगर वो भाजपायी खेमे की ओर रूख कर है तो, राजस्थान सियासत जरूर पलटी मार सकती है। निर्दलीय विधायक, सचिन पायलट समर्थक विधायक और वंसुधरा खेमे के विधायक मिलाकर जरूर भारी उलटफेर कर सकते है।
तीसरे कयास के तौर पर वो सूबे में अलग मोर्चा भी बना सकते है। जो कि कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही चुनौती देगा। कहीं ना कहीं उन्हें ये विश्वास जरूर है कि प्रदेश के लोगों की सहानुभूति और उनका युवा विश्वसनीय चेहरा (Young reliable face) तुरूप का इक्का साबित होगा।
राजस्थान में कांग्रेसी सरकार बचाने के लिए व्हिप जारी किया गया है। ऐसे में जो भी कांग्रेसी विधायक सदन की कार्रवाई से नदारद रहेगें। उनके खिलाफ केन्द्रीय नेतृत्व (Central leadership) अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा। कांग्रेसी पर्यवेक्षक के तौर पर दिल्ली से केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन (KC Venugopal, Randeep Surjewala and Ajay Maken) मौके पर मौजूद है। सचिन पायलट ने अहमद पटेल (Ahmed patel) के द्वारा कांग्रेस आलाकमान को ये संदेश पहुँचवा दिया है कि, सूबे में गहलोत सरकार उन्हें किनारे करना चाह रही है। जो कि उन्हें स्वीकार्य नहीं है। देर रात रणदीप सुरजेवाला ने जयपुर पहुँचकर घोषणा करते हुए कहा- अशोक गहलोत सरकार अपने पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी। ऐसे में भाजपा को अतिउत्साही होने की जरूरत नहीं है।
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी (Rajasthan Congress Incharge) ने बयान जारी करते हुए भाजपा को घेरा। उनके मुताबिक ये सब भाजपा के इशारे पर हो रहा है। बीजेपी (BJP) कमोबेश हर कांग्रेसी राज्य में यहीं चाल चलना चाह रही है। जैसे उसने मध्य प्रदेश में किया, वैसा हम राजस्थान में नहीं होने देगें।