जनता दल यूनाइटेड के सीनियर लीडर पवन कुमार वर्मा ने जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को आरएसएस से परहेज़ और भाजपा से गठजोड़ के मसले पर चिट्ठी लिखकर रोष ज़ाहिर किया है। साथ ही भाजपा और जेडीयू के सियासी वजूद को लेकर सवालिया निशान भी लगाया है। बिहार की सियासत से निकलकर दिल्ली चुनावों में भाजपा-जेडीयू गठबंधन को लेकर पवन कुमार ने हैरानगी जाहिर की। साथ ही चिट्ठी में नीतीश कुमार को लिखा कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आपसी संबंध को लेकर, आप खुद कई बार आपत्ति दर्ज करवा चुके है।
इस अधिकारिक खत में पवन कुमार ने नीतीश कुमार के उस वादे का भी हवाला दिया गया है, जब उन्होनें महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के दौरान आरएसएस मुक्त भारत की बात कही थी। आगे वो लिखते है कि साल 2017 में आपने (नीतीश कुमार) अपना पॉलिटिकल गोल-पोस्ट बदलते हुए भाजपा से हाथ मिला लिया। मैं ये समझने में नाकाम रहा कि, जब देशभर में CAA-NPR और NRC के खिल़ाफ बगावत के सुर बुलन्द हो रहे है। भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही अकाली दल ने भी दिल्ली चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन से इंकार कर दिया तो ऐसे में हमारा पक्ष इन मुद्दों पर स्पष्ट क्यों नहीं है।
जनता दल यूनाइटेड के अन्तरिम संविधान का हवाला देते हुए कहा- हमें इन मुद्दों पर अपना राजनीतिक रूख़ साफ करना होगा। हमारे नेता इन पर क्या राय कायम करते है और जेडीयू जनता के सामने इन पर क्या कार्रवाई कर सकती है। इसे लेकर मंथन की आवश्यकता है। पार्टी को औपचारिक रूप से इस पर वैचारिक विमर्श की पारदर्शिता लानी होगी।
आगे पवन कुमार वर्मा लिखते है कि- एक वक्त था, जब आप मोदी के घोर विरोधी हुआ करते थे। साथ ही उनकी नीतियों को देश विरोधी बताकर उनकी मुखर आलोचना किया करते थे। वो आपके निजी विचार थे। मौजूदा दौर में भाजपा देश की लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को खत्म करने में लगी हुई है। सार्वजनिक संस्थानों की स्वायत्ता और निष्पक्षता को खतरा बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे लोकतन्त्र में आस्था रखने वाली सामाजिक शक्तियों को एक मंच पर आना होगा।
गौरतलब है कि जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर नागरिकता संशोधन अधिनियम के कड़े आलोचक है साथ ही अलग-अलग मंचों से इसके खिल़ाफ आव़ाज भी बुलन्द करते उन्होनें भरोसा दिया कि बिहार में सीएए को लागू नहीं किया जायेगा।