NRC, NPR और CAA के मसले पर Bollywood Celebs अपने खुले विचार रख रहे है। अनुराग कश्यप, सुशांत सिंह,तापसी पुन्नू और दीया मिर्जा के बाद इस फेहरिस्त में एक और नया नाम जुड़ा है। इस बार नसीरूद्दीन शाह ने अपने बात CAA पर रखी। एक ऑनलाइन मीडिया पोर्टल से बातचीत के दौरान नसीरूद्दीन शाह ने कहा- अगर कोई शख़्स 70 साल इस इस मुल्क का बाशिंदा है तो. एक ही दम से उसे नागरिकता साबित करने के लिए कहा जाये तो मुझे नहीं मालूम क्या करना चाहिए। हालांकि इस मसले से मुझे कोई चिंता नहीं पर गुस्सा आना लाज़िमी है।
बॉलीवुड इण्डस्ट्री में राजनीति विचारधारा को लेकर उन्होनें कहा- यहाँ पर सरकार की नीतियों का आलोचना करने वाले लोगों की संख्या अधिक है। गिने-चुने लोग ही सरकार की नीतियों का समर्थन करते है। सीएए के खिल़ाफ लोगों के जो आज़ाद ख्यालात सामने आ रहे है, इन्हीं लोगों ने मुल्क को एकजुट किया है।
केन्द्र सरकार और भाजपा को लेकर अनुपम खेर के राजनीतिक झुकाव पर बात रखते हुए उन्होनें कहा- सियासी मसलों पर अनुपम खेर काफी बेबाक अन्दाज़ रखते है। उन्हें गंभीरता से लेने की कोई जरूरत नहीं है। वो आदतन जोकर है। FTII और NSD में उनके साथ पढ़ाई करने वाले लोग उनकी चापलूसी करने की काबिलियत से अच्छे से वाकिफ है। चापलूसी उनकी शख्सियत का हिस्सा है। इसे लेकर वो बेबस है।
दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने और आइशी घोष से मिलने के मसले पर नसीरूद्दीन शाह ने कहा- जिस तरह से उनकी आलोचना हुई, वो गलत था। जिस तरह से उन्होनें जेएनयू जाने के पहल की, उनका ये कदम काबिले तारीफ था। दीपिका टॉप एक्ट्रैस की फेहरिस्त में आती, फिर उन्होनें काफी बड़ा कदम उठाया है।
जिस तरह से राष्ट्रवादी मुद्दों को लेकर बॉलीवुड में फिल्में रिलीज़ हो रही है। उस पर बात करते हुए उन्होनें कहा- बॉलीवुड इण्डस्ट्री और सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों का चोली-दामन का साथ होता है। मुझे बड़ी हैरानगी हो रही है कि, किस तरह से आत्मविश्वास से लबरेज़ फिल्म प्रोड्यूसर्स इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर फिल्म बना रहे है।
मौजूदा फिल्म ट्रैंड पर अपनी राय रखते हुए उन्होनें कहा- जिस तरह से ऑफ बीट कहानियों पर फिल्में बन रही है, उसकी नींव 70 के दशक में काम कर रहे निर्देशकों ने रखी थी। ये रास्ता उन्हीं डायरेक्टर्स का बनाया हुआ है। मौजूदा दौर की लो-बजट फिल्में उस दौर की तुलना में काफी बेहतर है।