न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): चीन और भारत के बढ़ते तनाव के बीच भारत की सैन्य तैयारियों (India’s military preparations) को देखते हुए Pakistan US के सामने गिड़गिड़ाता नज़र आ रहा है। हाल ही में भारत की रक्षा तैयारियों में अप्रत्याशित इजाफा (Unexpected increase in defence preparedness) हुआ है। Rafale, Chinook, Apache और S-400 की मिलने वाली खेप को देखकर पाकिस्तान शक्ति संतुलन बिगड़ने के डर (Fear of deteriorating power balance) से खौफजदा है। अब पाकिस्तानी हुक्मरान वाशिंगटन की मध्यस्थता चाहते है, ताकि अमेरिकी हस्तक्षेप से दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच पनपा तनाव कुछ कम किया जा सके। पाकिस्तानी विदेश सचिव शोहेल महमूद (Pakistani Foreign Secretary Shohel Mehmood) ने वर्चुअल बैठक के दौरान अमेरिकी राजनीतिक मामलों के अपर सेक्रेटरी डेविड हेले (David Hayley, Additional Secretary of American Political Affairs) के सामने ये मसला उठाया।
पाकिस्तानी अखबार द डॉन (Pakistani newspaper The Dawn) के मुताबिक पाकिस्तानी विदेश सचिव ने कहा- दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य तनाव, सीमापार घुसपैठ रोकने और शांतिपूर्ण तरीके से जम्मू-कश्मीर मामले के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाये जाने जरूरी है। कश्मीर भारतीय सेना की घेरेबंदी और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रवैया शांति और सुरक्षा के लिहाज़ से खतरा है। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे वक्त से किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्तायें (Bilateral talks) नहीं हुई है। शांति वार्ताओं को लेकर भारत ने अपना रूख पाकिस्तान के सामने पूरी तरह स्पष्ट कर रखा है कि, जब तक सीमा पार आंतकवादी गतिविधियों पर इस्लामाबाद लगाम नहीं कसेगा तब तक द्विपक्षीय वार्ताओं का दौर शुरू नहीं किया जायेगा। आंतकवाद और शांति प्रयास एक साथ नहीं चल सकते।
इस्लामाबाद कई बार इस मसले पर अमेरिकी हस्तक्षेप (American intervention) की गुज़ारिश कर चुका है। इमरान खान की इस मांग पर मुहर लगाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश कर चुके (Trump has offered mediation on Kashmir issue) है। जिसे भारत ने पूरी तरह खाऱिज दिया। कश्मीर के चलते पाकिस्तान के अन्तर्राष्ट्रीय संबंध सऊदी अरब से भी अनबन वाले हो गये। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को सऊदी अरब और इस्लामिक सहयोग संगठन (Organization of Islamic Cooperation) से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। जिससे वो खासा बौखलाया हुआ है।
पाकिस्तान की छटपटाहट के अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, वो इस्लामिक सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की अगुवाई वाली परिषद की बैठक (Council of Foreign Ministers of the Organization of Islamic Cooperation meeting) चाहता है। जिसके लिए अप्रत्यक्ष रूप से सऊदी अरब की मंजूरी जरूरी है। ऐसे में कश्मीर से धारा-370 हटने के बाद डोनॉल्ड के सामने गुहार लगाना और उसके बाद अब डेविड हेले के सामने पुराना कश्मीर राग अलापना दिखाता है कि, अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर बड़ा सवालिया निशान लगा हुआ है।