न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): ब्रिटेन स्थित टेक रिसर्च फर्म कंपेरिटेक (UK-based tech research firm Compitech) सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया कि, TikToK, Instagram और You Tube के तकरीबन 23.5 करोड़ यूजर का डाटा डार्कवेब (Dark web) पर बिक्री के लिए मौजूद है। कंपेरिटेक के मुताबिक डेटा चोरी होने के पीछे संबंधित कंपनियों की इन्सिक्योर डेटा संरक्षण प्रणाली है। टिकटॉक के डेटा संरक्षण चीनी कंपनी Bytedance के पास है। वही Instagram के Data की देखरेख Facebook और You Tube का डेटा Google द्वारा नियन्त्रित किया जाता है।
कंपेरिटेक के साइबर शोधकर्ताओं ने बताया कि, इन सभी उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारियों से जुड़ा डाटा क्वॉन्टिफाइड (Data quantified) कर सेट्स में फैला हुआ है। इनमें उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारियां (Users’ Personal Information) जैसे सोशल मीडिया अकाउंट का विवरण, लाइक्स और फॉलोवर्स से जुड़े आंकड़े, यूजर का असली नाम, प्रोफाइल नेम, ई-मेल एड्रेस, टेलीफोन नंबर, मोबाइल नंबर और प्रोफाइल फोटो खासतौर से शामिल है। ये सभी जानकारियां साइबर धोखाधड़ी करने वाले लोगों की काफी मदद करती हैं। साथ ही इस डेटा की मदद से ऑनलाइन धोखाधड़ी (Online fraud) किये जाने की पूरी संभावना है।
ये सभी डेटा डार्क वेब पर आसानी से एक्सेसिबल है। लेकिन जैसे ही ये खबर फैली तो डेटा मुहैया कराने वाले कंपनी डीप सोशल ने इसे तुरन्त हटा लिया। फिलहाल डीप सोशल की इन्सिक्योर डेटा संरक्षण प्रणाली (Insure Data Protection System) ने एक्सेसिबिलटी गेटवे (Accessibility Gateway) पर रोक लगा दी है। साथ ही इस मामले से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी होने से मना कर दिया है। इसी कंपनी को साल 2018 के दौरान फेसबुक और इंस्टाग्राम ने प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था, क्योंकि कंपनी ‘यूजर्स के प्रोफाइल डाटा को एनालाइज़ कर डाटा प्वाइंट्स असुरक्षित हाथों में लीक कर रही थी। जिसकी वजह से फेसबुक के प्लेटफॉर्म पर डीप सोशल की पहुँच को बेहद सीमित कर दिया गया। साथ ही फेसबुक की ओर से कंपनी को कानूनी ज़वाब तलब के लिए बाध्य होना पड़ा। फिलहाल 18.4 करोड़ इस्टाग्राम यूजर्स, 4.2 करोड़ टिकटॉक यूजर्स और 40 लाख यूट्यूब यूजर का डेटा असुरक्षित हाथों में है।
इसी साल मई महीने के दौरान ऑनलाइन लर्निंग प्लैटफॉर्म Unacadmy के करोड़ों यूजर्स का डेटा भी इस तर्ज पर हैकर्स की पहुँच में आ गया था। इसके तहत 2.2 की बेहद निजी जानकारियां डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध थी। डेटा का इस्तेमाल कर हैकर्स, स्पैमर्स, साइबर अपराधी और फिशिंग करने वाले लोग (Hackers, spammers, cyber criminals and phishing people) यूजर्स से उगाही करते है। साथ राजनीतिक पार्टियां इन आंकड़ों की मदद से अपनी चुनावी रणनीतियों को धार देती है।