नई दिल्ली (शौर्य यादव): चीन (China) चौतरफा कूटनीतिक और रणनीतिक दवाबों तले जूझ रहा है। लद्दाख के पूर्वी मोर्चे (Eastern front of ladakh) के साथ साउथ चीन सागर (South China Sea) में उसे बुरी तरह मुँह की खानी पड़ रही है। उभर रहे हालातों में किस तरह कारगर कदम उठाए जाएं इस बात को लेकर बीजिंग काफी बौखलाया हुआ है। हाल ही में ताइवान ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (People’s Republic of China) के जंगी जहाज़ को मार गिरा कर अपने इरादे साफ तौर पर जाहिर कर दिये है। जिससे शी-जिनपिंग के नेतृत्व पर गंभीर सवालिया निशान लग गये है। Sukhoi-35 के मार गिराने के बाद अब ताइवान ने एक बार फिर से चीन की संप्रभुता और अक्षुण्णता (China’s sovereignty and integrity) को खुले आम ललकारा है।
हाल ही में अपना नया पासपोर्ट जारी किया। दिलचस्प ये है कि पासपोर्ट के नये डिजाइन में से ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ हटा (Republic of China removed from new Taiwan passport design) लिया गया है। साथ ही पासपोर्ट पर प्रिन्टेड ‘ताइवान’ का फॉन्ट साइज बढ़ा दिया है। ताइवान सरकार के इस कदम से दोनों देशों के तालुक्कात एक बार फिर से गंभीर मोड़ पर पहुँचते नज़र आ रहे है। ताइपे के नीति-नियन्ताओं (Taipei’s policymakers) का मानना है कि पुराने पासपोर्ट के कारण वैश्विक स्तर पर भ्रम फैल रहा था। उस पर रिपब्लिक ऑफ चाइना लिखा होने के कारण ताइवानी नागरिकों को चीनी समझा जाने लगा था। जिसके चलते उन्हें वैश्विक स्तर पर कोरोना संकट के कारण नस्लीय भेदभाव (Racial discrimination due to corona crisis) का सामना करना पड़ रहा था।
गौरतलब है कि साल 1949 के दौरान ताइवान को चीनी संप्रभुत्ता के तहत गणराज्य का दर्जा दिया गया। जिसके बाद बीजिंग के हुक्मरानों ने ताइवान के पासपोर्ट पर ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ छापने का चलन जारी करवाया। चीन का ये कदम एक देश दो प्रणाली (One country two system) के तर्ज पर आधारित था। कूटनीतिक जानकारों के मुताबिक ताइवान भले ही मौजूदा कवायद को कोरोना और नस्लीय भेदभाव से जोड़कर बता रहा हो। लेकिन कहीं ना कहीं वे चीन से इतर अपनी अलग पहचान वैश्विक स्तर पर छोड़ने की कोशिश में है। बीजिंग से अलग अपनी संप्रभुता को कायम करने के लिए इसे ताइवान की ओर से पहला कदम माना जा रहा है।
ताइपे की ओर से लगातार स्वायत्तता, अक्षण्णुता और संप्रभुता को चीन से अलग करने के प्रयास (Efforts by Taipei to separate autonomy, impermanence and sovereignty from China) हो रहे है। मौजूदा वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत और अमेरिका के साथ ताइवान के रिश्तो में काफी गर्मजोशी देखी जा रही है। अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम पेट्रियॉट (American Air Defense System Patriot) की मदद से ही ताइवान ने चीनी सुखोई-35 को मार गिराया। बीजिंग की नाराजगी को दरकिनार करते हुए चेक गणराज्य का प्रतिनिधिमंडल (Czech Republic Delegation) जल्द ही ताइवान पहुंचने वाला है। ये सभी कवायदें चीनी के परेशानी बढ़ाने के लिए काफी है। आने वाले दिनों में ताइवान रणनीति और कूटनीतिक विकल्पों के अलावा मनोवैज्ञानिक तरीकों (Psychological warfare by Taiwan) से चीन को ओर भी परेशान कर सकता है।
Featured Image Courtesy- The Nation Thailand