न्यूज़ डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): जल्द ही बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Chunav) सूबे की दहलीज़ पर दस्तक देने वाले है। राज्य में सियासी सरगर्मियों में धीरे-धीरे तेजी देखी जा रही है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने वोट बैकों को साधने की तैयारियों में दिख रही है। ऐसे में जातीय समीकरणों (Ethnic equations) को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों को अपने पक्ष में बनाने के लिए नया दांव खेल दिया है। जिसके तहत अनुसूचित जाति-जनजाति से जुड़े किसी व्यक्ति की हत्या होने पर उस व्यक्ति के परिवार के किसी सदस्य को तत्काल राज्य सरकार में सरकारी नौकरी देने के फरमान नीतीश कुमार ने जारी कर दिये है।
साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से अनुसूचित जाति-जनजाति के वर्गों के लिए बनी अलग-अलग राजकीय और केन्द्र सरकार की परियोजनाओं का फायदा जल्द संबंधित व्यक्तियों तक पहुँचे इसके लिए मुख्य सचिव को अपने स्तर इसका रोडमैप तैयार करने और उसकी समीक्षा करने के आदेश भी जारी किये गये है। बीते शुक्रवार सीएम की अध्यक्षता में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Welfare (Prevention of Atrocities) Act 1995) की मॉनिटरिंग और विजिलेंस समिति की बैठक हुई। जिसमें मुख्यमंत्री ने तयशुदा वक्त की भीतर इस एक्ट से जुड़े सभी लंबित मामलों के निपटारे (Pending cases settlement) के विशेष आदेश दिये।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य के कानून विभाग से विशेष अदालतों में स्पेशल पब्लिक प्रॉस्क्यूटर्स की नियुक्ति (Appointment of special public prosecutors in special courts) प्रक्रिया में तेजी लाने के आदेश भी दिये। साथ ही उन्होनें उन राजकीय अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी, जो अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून के अन्तर्गत दर्ज मामलों के निस्तारण में संजीदगी नहीं दिखाते है। दलित मामलों से निपटारे में जो कोई भी अधिकारी सुस्ती दिखायेगा, उसके खिलाफ मुख्यमंत्री कार्यालय (Chief Minister’s Office) कड़े कदम उठा सकता है। यहां पर सीएम का इशारा उन पब्लिक प्रॉस्क्यूटर्स की ओर था, जो अपने कामों में कोताही बरत रहे है। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने एससी-एसटी वर्ग के समग्र विकास के लिए दूसरी संभावनाओं पर गौर करने और कारगर कदमों को उठाने के निर्देश दिये।
बैठक में हाज़िर सभी जनप्रतिनिधियों से भी दलित वर्ग के कल्याण के लिए सुझाव (Suggestions for the welfare of the depressed class) मांगे गये। इस दौरान सीएम नीतीश कुमार ने कारगर सुझावों को त्वरित ढ़ंग से लागू करने का आश्वासन भी दिया। सीएम द्वारा अधिकरियों को सख्त आदेश देते हुए कहा गया कि, यदि कोई दलित अत्याचार या अन्य किसी जातीयगत घटना का शिकार होता है तो उसे तुरन्त आर्थिक व अन्य आवश्यक मदद मुहैया करवायी जाये। बिहार चुनावों से ठीक पहले जिस तरह से नीतीश कुमार ने दलितों के लिए घोषणा की है, उसे देखते हुए राज्य में दलित हितों की राजनीति करने वाले विपक्षी दलों की चूलें हिलना तय है। ऐसे में ये खब़र जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के लिए जरूर परेशानी का सबब़ बन सकती है।