न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): भारतीय सेना की पश्चिमी कमांड (Indian Army Western Command) से खब़र सामने आ रही है कि, चीन (China) से लगी वास्तविक नियन्त्रण रेखा पर पीपुल्स लिब्ररेशन ऑर्मी (People’s Liberation Army) ने एक फिर से घुसपैठ (सामरिक अतिक्रमण) करने की कोशिश की है। ज़वाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। भारतीय सैन्य चौकियों पर तैनात ज़वानों की मुस्तैदी की वजह से चीनी सेना की ये नापाक कवायद नाकाम हो गयी है। जिसके बाद से बीजिंग ने नई दिल्ली को घेरते हुए सीमा पर तनाव बढ़ाने (Beijing accused New Delhi of increasing border tension) के बेबुनियादी इल्ज़ाम लगा रहा है।
बीजिंग के आरोपों के मुताबिक भारतीय सुरक्षा बलों (Indian security forces) ने काफी योजनाबद्ध तरीके से LAC का उल्लंघन किया और पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से लगे इलाके में घुसपैठ की कोशिश की। जब पीएलए द्वारा उन्हें चेतावनी दी गयी तो, उन्होनें फायर खोल दिया। मजबूरन पीएलए की चौकियों को भी फायरिंग करनी पड़ी। फिलहाल ज़मीनी हालत पूरी तरह नियन्त्रण में (Ground control under control) है। दोनों ओर के ज़वान अपने-अपने इलाकों में हाई-अलर्ट है।
बीते शुक्रवार मॉस्को में हुई शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (Shanghai Cooperation Organization) की बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी समकक्ष वेई फेंग (Defense Minister Rajnath Singh and Chinese counterpart Wei Feng) को चीन की ओर से LAC पर बढ़ते तनाव को लेकर दो-टूक सुनाई थी। चीनी रक्षा प्रतिनिधिमंडल (Chinese Defence Delegation) के सामने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की आक्रामक बॉडी लैंग्वेज सामने आयी थी। कूटनीतिक मोर्चे पर अब भारत मॉस्को में 10 सितम्बर को होने वाली बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भेजेगा, जहां वे चीनी समकक्ष याग यी (Foreign Minister S. Jaishankar’s Chinese counterpart Yag Yi) से राजनयिक वार्ता कर मामले का वैकल्पिक हल निकालने पर चर्चा कर सकते है।
पेंटागन की ओर से हाल ही में एक रिपोर्ट सार्वजनिक की गयी (recent report from the Pentagon was made public) है। जिससे मौजूदा भारत-चीन तनाव में और भी बढ़ोत्तरी हो सकती है। जिसके मुताबिक चीन काफी तेजी से अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार एशिया प्रशांत सहित दूसरे महाद्वीपों में (Expansion of Chinese military capabilities to other continents including Asia Pacific) करना चाह रहा है। जिससे कि पीपुल्स लिब्ररेशन ऑर्मी अपनी क्षमताओं का कारगर ढंग से इस्तेमाल चीन की मुख्य भूमि से दूर भी कर पाये। अफ्रीकी देश जिबूती में चीनी सैन्य अड्डा इसी बात की तस्दीक करता है।
पेंटागन द्वारा जारी रिपोर्ट के अगले हिस्से में बताया गया है कि, जिस तरह चीन ने पाकिस्तान में भारी निवेश (China’s huge investment in Pakistan) कर रखा है। उसे देखते हुए चीन को अपने आर्थिक हितों की काफी चिंता है। इसीलिए भीतरखाने पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में वो चोरी-छिपे सैन्य अड्डे विकसित (Secretly Developed Chinese Military Base) कर सकता है। जिसके तहत वैकल्पिक व्यापारी मार्गों निमार्ण कर उसका सैन्य इस्तेमाल करने की रणनीति खासतौर से शामिल है। इस तर्ज पर उसे क्षेत्रीय संप्रभुता (Regional sovereignty) बनाये रखने में काफी मदद मिलेगी। साथ ही व्यापार और विस्तारवाद मानसिकता को भी पोषण (Business and expansionism nurture mentality) मिलेगा। अगर पाकिस्तान में बीजिंग ने सैन्य अड्डा बना लिया तो उसकी नज़र सीधे भारत की सैन्य गतिविधियों पर बनी रहेगी। साथ अन्तर्राष्ट्रीय दबाव पड़ने पर चीनी व्यापारिक जहाजों की निर्भरता मलक्का का खाड़ी पर कम (dependence of Chinese merchant ships on the Gulf of Malacca will be reduced due to international pressure) पड़ेगी।