नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका (United State of America) के राजनयिक संबंधों में अभी खटास बनी हुई है। दोनों एक दूसरे के दूतावास कर्मियों और अधिकारियों के आवागमन पर प्रतिबंध लग रखा है। हाल ही में बीजिंग ने अमेरिका पर कुछ और अज्ञात प्रतिबंध लगाये (Beijing imposes some unknown restrictions on America) और पहले ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों में नरमी देने की मांग की। पूर्ववर्ती तौर पर राजनयिक चैनलों की बहाली पर भी जोर देते हुए चीन की ओर से कहा गया कि वे (अमेरिका) अपनी गलतियां सुधारे और चीनी दूतावासों और कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंधों में ढील दे। अगर वाशिंगटन इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाता है तो बीजिंग भी संबंध सुधारने की पहल कर सकता है। चीनी पेशकश का ज़वाब अमेरिकी प्रशासन ने मालदीव से रणनीतिक साझेदारी (In response to the Chinese offering, the US administration entered into a strategic partnership with the Maldives) कर दिया।
हिंद महासागर में चीन को घेरने के लिए अमेरिका और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग पर समझौता किया (Agreement between US and Maldives on defence cooperation to Strategic siege China in Indian Ocean) गया है। समझौते की औपचारिक घोषणा करते हुए पेंटागन ने कहा कि- हिन्द महासागर और प्रशांत इलाके में चीन की ओर से उभर रही रणनीतिक चुनौतियों का ज़वाब देने के लिए ये रक्षा गठबंधन किया गया है। बीते 10 सितम्बर को फिलाडेल्फिया में रक्षा मंत्री के उप-सहायक रीड वर्नर और मालदीव की रक्षामंत्री मारिया दीदी (Reid Werner, Deputy Assistant to the Minister of Defence and Defence Minister Maria Didi of Maldives) ने इस सुरक्षा समझौते के प्रारूप पर दस्तख्त किये।
अमेरिकी सुरक्षा विभाग के मुताबिक सुरक्षा समझौते के मसौदे की शर्ते हिन्द महासागर में सुरक्षा और स्थायी शांति सुनिश्चित करेगी (The terms of the draft agreement will ensure security and lasting peace in the Indian Ocean)। रक्षा साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ते हुए दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध इस कूटनीतिक कवायद से बेहद सुदृढ़ होगें। दस्तख्त करने के दौरान रीड वर्नर और मारिया दीदी के बीच कोरोना संकट से लड़ने के लिए वाशिंगटन की वैश्विक भूमिका (Discussion on Washington’s global role to fight Corona crisis) और अन्य उन विषयों पर भी गहन चर्चा हुई जिन पर भविष्य में दोनों देशों के संबंध संभावित रूप से मजबूत हो सकते है।
पेंटागन की ओर से जारी मीडियो रिपोर्ट्स में बताया गया कि, दोनों देशों के बीच रक्षा सहित सामरिक वार्ताओं के न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर भी आम सहमति (Consensus on minimum common program of strategic negotiations including defence) बनी है। बीते कुछ दिनों पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपिओ ने बयान जारी कर चीन पर दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को धमकाने का इल्ज़ाम लगाया था। ऐसे में अमेरिका द्वारा दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की घेराबंदी करने के बाद अब हिंदसागर और एशिया -प्रशांत में चीन का नया सिरे से घेराव करने की तैयारी इस रक्षा समझौते से ज़ाहिर होती है।