न्यूज़ डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के लोकसभा में दिये भाषण के ज़वाब में चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Chinese government mouthpiece Global Times) में बीजिंग के हुक्मरानों ने अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर कर दी है। बीते मंगलवार राजनाथ सिंह ने लद्दाख में उभरे सामरिक तनाव पर लोकसभा के सभासदों के बीच कहा था कि- भारतीय सेना हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए सक्षम है। किसी भी हालात में भारत की संप्रभुता, अखंडता और अक्षुण्णता से कोई समझौता नहीं होने दिया जायेगा।
दूसरी ओर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Minister of State for Home Nityananda Rai) ने राज्यसभा को बताया कि- बीते छह महीनों के दौरान भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ की कोई खब़र सामने नहीं आयी। चीनी सैनिकों द्वारा की जा रही कार्रवाई को घुसपैठ नहीं बोला जा सकता है। इसीलिए इसे अभी तक इसे चीनी घुसपैठ की कोशिश कहा जा रहा है। जो घुसपैठ की बात कर रहे है ये उनका अपना मत है क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमाकंन को लेकर काफी अस्पष्टता है। इसलिए कई ऐसे इलाके है जिन पर चीन और भारत दोनों समान रूप से अपना दावा करते रहे है। पेट्रोलिंग के दौरान दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ जाते है। फिलहाल दोनों देशों के बीच भारत-पाक या एलओसी वाले हालात नहीं है।
जैसे ही इन बयानों की दस्तक चीन तक पहुँची तो वहां बेचैनी का माहौल बन गया। चीन की ओर से जुब़ानी पलटवार करने के लिए ग्लोबल टाइम्स का सहारा लिया गया। ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चीनी सरकार ने कहा- भारतीय रक्षामंत्री का बयान बेहद भड़काऊ और तनाव बढ़ाने वाला है। लद्दाख में पैदा हुए सैन्य हालातों का समाधान जल्दी संभव नहीं है। जैसे-जैसे सर्दियों का मौसम पास आयेगा स्थिति और भी तनावपूर्ण होती जायेगी। भारतीय रक्षामंत्री अपने बयानों से आम जनता को सेना और सरकारी प्रयासों के प्रति झूठा भरोसा दिलाना चाहते है। दूसरी ओर ज़मीनी हालात उनके बयानों से बेहद उलट है। लद्दाख के पूर्वी मोर्चे पर तनाव भारतीय पक्ष के कारण बना हुआ है।
ग्लोबल टाइम्स ने दुष्प्रचार के तहत आगे लिखा कि- भारत का रक्षा बजट उनकी मौजूदा आर्थिक स्थिति की तुलना में काफी ज़्यादा है। फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था काफी लड़खड़ाई हुई है जिसके कारण भारत चीन से युद्ध मोल लेने की हरकत नहीं करेगा। जिस तरह से भारत की अक्सर पाकिस्तान के साथ छोटी-मोटी सैन्य झड़पे लगातार होती रहती है, उसी तर्ज पर चीन के साथ भी सैन्य दशायें बन सकती है। अगर लंबे समय तक दोनों देशों के सैनिकों के बीच यहीं हालात बने रहे तो शांति प्रयास को युद्ध में बदलते देर नहीं लगेगी। इसीलिए राजनाथ सिंह चीन पर सारा दोष लगा रहे है।
छद्म कूटनीतिक और दुष्प्रचार के प्रयासों (Pseudo-diplomatic and propaganda efforts) के बीच चीन लगातार अपना दखल भारत से लगी सीमाओं पर बढ़ा रहा है। हाल ही में पीपुल्स लिब्ररेशन ऑर्मी की टुकड़ियों ने अरूणाचल प्रदेश के अस्फिला, टूटिंग, चांग ज और फिशटेल-2 इलाकों में अपनी गतिविधियां काफी बढ़ा दी है। अब चीनी घुसपैठ के निशाने पर ऐसे भारतीय इलाके है जहां आबादी कम हो और भारतीय सेना की तैनाती ना के बराबर हो। इन इलाकों में चीन की ओर से पेट्रोलिंग और अस्थायी निर्माण (Petroling and temporary construction) काफी बढ़ गया है। अरूणाचल प्रदेश के ये इलाके सामरिक दृष्टि से काफी संवेदनशील है। भारतीय सेना की ओर पूर्वोत्तर मोर्चे पर भी तैनाती बढ़ा दी गयी है। भारत की ओर से शांति प्रयासों के सभी उपाय उच्च स्तर पर किये गये है। दोनों देशों के रक्षामंत्री और विदेशमंत्री इस विषय पर बातचीत कर चुके है। अब इंतजार इस बात का है कि ये मामला दोनों देशों की आपसी समझ से सुलझेगा या फिर किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप होगा।