राजस्थान, धौलपुर (मौनी): जिले के बाड़ी से ऐसा मामला सामने आया है, जिसने ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जब हर क्षेत्र में सबको समान अधिकार मिला हुआ है। फिर भी लड़का लड़की के बीच भेदभाव किया जाता है। अभी भी समाज में कुछ लोग है, जो ऐसी सोच रखते है। राजस्थान (Rajasthan) के धौलपुर जिले की बाडी कोतवाली से एक ऐसा ही वाकया सामने आया है।
दरअसल धौलपुर जिले की बाड़ी कोतवाली में एक शख़्स ने बेटे की चाह में तीन शादियां रचाई लेकिन उसकी बेटे की चाह अधूरी रह गई। जब पहली बीवी से कोई संतान नहीं हुई तो उसने दूसरी शादी कर ली और पहली पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया। फिर दूसरी पत्नी से भी उसको कोई संतान नहीं मिली तो उसने एक अन्य युवती खरीद ली और उससे तीसरी शादी कर ली ।
बता दें कि तीसरी बीवी से भी उसे बेटा नहीं बल्कि बेटी हुई। उसकी बेटे की चाह पूरी नहीं हो पाई। जिसकी वज़ह से बेटी के जन्म के बाद से ही पति ने अपनी तीसरी बीवी के साथ मार-पिटाई करनी शुरु कर दी और बेटी को मारने की धमकी भी दी। पीड़िता पत्नी अपनी 6 महीने की बच्ची को लेकर बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) में फरियाद लगाने पहुंची।
बाल कल्याण समिति सदस्य गिरीश गुर्जर ने बताया कि- पीड़ित महिला उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले (Deoria district of Uttar Pradesh) से उसके पास आई थी। वो दिल्ली की एक सिलाई फैक्ट्री में काम करती थी। कमरे में एक लड़की उसके साथ रहती थी। फैक्ट्री में काम करने वाली एक महिला उसे बहला फुसलाकर आगरा ले आई। आगरा में जब पीड़िता ने कई सारी लड़कियों वहाँ देखा तो उसे शक हुआ, लेकिन वो कुछ नही कर पाई। मोहन नाम के लड़के ने उसे खरीद लिया, फिर शादी रचा ली।
पीड़ित महिला सीता का आरोप है कि, बच्ची के जन्म के करीब पांच महीने तक उसने महिला थाने में पति की शिकायत भी की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठायी। इसके बाद आरोपी पति लगातार बेटी को मारने की धमकी देने लगा और उसे घर से बाहर निकाल दिया। जिसके बाद उसने बाल कल्याण समिति में इंसाफ की गुहार लगाई। तब जाकर पति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
पीड़िता ने बताया कि उसके देवर ने भी तीसरी शादी की थी। देवर को भी पहली और दूसरी बीवी से संतान की प्राप्ति नहीं हुई। जिसके बाद तीसरी बीवी ने बेटी को जन्म दिया लेकिन उसके देवर ने बेटी को स्वीकार किया।