वाह क्या शानदार दिन है भारतीय लोकतंत्र के लिए। दिल्ली के नागरिकों ने असमानताओं फैलानी वाली सियासत का दामन छोड़कर और सुशासन को जिताया है। ये धर्म के उन फर्जी ठेकेदारों के मुँह पर करारा तमाचा है, जो संविधान की रीढ़ तोड़कर देश बेचने पर अमादा थे। साथ ही ये उन राजनीतिक परजीवियों के लिए कड़ा संदेश है, वो देश और संविधान को सर्वोपरि माने नहीं तो देश की जनता सत्ता से बाहर का रास्ता दिख देगी। फिर तो शऱणार्थी के तौर पर भी कोई इन्हें अपनाने को तैयार नहीं होगा।