नई दिल्ली: दिल्ली चुनावों की सरगर्मियों के बीच कहीं ना कहीं राष्ट्रीय मुद्दे पर असर छोड़ते दिख रहे है। जहाँ दिल्ली विधानसभा चुनावों में दिल्ली के विकास पर सभी पार्टियों में बहस होनी चाहिए, वहाँ राष्ट्रीय मुद्दे ने चुनावों में हावी दिख रहे है। आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति में एक अहम् बदलाव देखा जा रहा है, अब अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी खुलकर केन्द्र सरकार पर निशाना साध रही है। इससे पहले आप और केजरीवाल इससे परहेज़ करते दिखते थे।
मौजूदा सियासी तस्वीर में दिल्ली का शाहीन बाग इलाका केन्द्र सरकार के लिए खुली चुनौती बना हुआ है। जहाँ कई दिनों से NRC औऱ CAA के खिल़ाफ चौबीसों घंटे धरना-प्रदर्शन चल रहा है। दिल्ली पुलिस भी इस प्रदर्शन को अभी तक हटा नहीं पायी है। चूंकि दिल्ली पुलिस गृहमंत्री अमित शाह की कमान में आती है, और दूसरी गृहमंत्री दिल्ली में चुनावी रैलियों के दौरान शाहीन बाग का जिक्र करना नहीं भूलते है। ऐसे में सवाल उभरते है कि, क्या शाहीन बाग का धरना-प्रदर्शन किसी सियासी मजबूरी के तहत नहीं हटाया जा रहा है ? क्या अमित शाह शाहीन बाग से पॉलिटिकल माइलेज निकालकर भाजपा को दिल्ली में बढ़त दिलवाने की कोशिश कर रहे है ?
दूसरी ओर सीएम केजरीवाल ने खुद ट्विट पर सियासी घमासान थामा और गृहमंत्री अमित शाह पर सीधा हमला बोलते हुए ट्विट किया- शऱजील ने असम को देश के अलग थलग करने की बात कही थी। उसे गिरफ्तार करने की बजाय आप बयानबाज़ी में लगे हुए है। ये बेहद गंदी राजनीति है। देश को तोड़ने का बयान दिये हुए उसे दो दिन हो गये है। ये आपका राजनीतिक धर्म है कि आप उसे तुरन्त गिरफ्तार करे। लेकिन आप ऐसा नहीं कर रहे है। इसके पीछे आपकी क्या मज़बूरी है ? या फिर गंदी राजनीति का खेल अभी आपको और खेलना है ?
दिल्ली विधानसभा चुनावों में तस्वीर काफी दिलचस्प बनती नज़र आ रही है। भाजपा के पास अरविंद केजरीवाल को स्थानीय मुद्दों पर घेरने के लिए गिने-चुने मसले है। इसलिए भाजपा द्वारा राष्ट्रीय मुद्दों को दिल्ली चुनावों में घसीटा जा रहा है। दूसरी ओर केजरीवाल के सामने ना ही तो भाजपा ने अपने सीएम उम्मीदवार के नाम का खुलासा किया है और ना ही उनके सामने की कोई मजबूत प्रत्याशी उतारा है। ये दोनों ही समीकरण कहीं ना कहीं इस बात की ओर इशारा करते है कि, भाजपा को दिल्ली चुनावों के नतीज़ो का अन्दाज़ा हो चुका है।