न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): किसान आंदोलन को आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों का समर्थन हासिल है। कहीं ना कहीं उन्हें इसमें बेहतरीन पॉलिटिकल माइलेज की उम्मीद नज़र आती है। भले ही प्रदर्शनकारी किसान पॉलिटिकल हाइजैकिंग की बात से इंकार करे, लेकिन अंदरखाने वामपंथ विचारों (Leftist thoughts) ने आंदोलन को भेदने की कोशिश की है। इसलिए आंदोलन के 17 दिनों के भीतर कई ऐसे मुद्दे सामने आये, जिन्होनें इस बात की तस्दीक की।
किसान आंदोलन की आड़ में कई ऐसी बातें सामने आयी, जो कि देश की अक्षुण्णता, अखंड़ता और सम्प्रुभता से खिलवाड़ करती दिखी। जैसे कि, देशद्रोह के आरोप में शरजील इमाम और उमर खालिद के पोस्टर लहराना, धारा-370 को दुबारा लागू करना, खालिस्तान की मांग और राजनीतिक कैदियों (Political Prisoners) की रिहाई। किसानों के बीच कुछ लोग अपनी सियासी और वैचारिक रोटियां सेंकना चाह रहे है। जिसके बारे में किसान अन्ज़ान है।
इसी क्रम में आम आदमी पार्टी पंजाब के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर आंदोलन से जुड़ी पोस्ट की गयी। जिसमें भारत के नक्शे से जम्मू कश्मीर और लद्दाख का नक्शा नदारद दिखा। AAP की ये हरकत देश की लोकतान्त्रिक अक्षुण्णता (Democratic integrity) का उल्लंघन करती है। किसान आंदोलन का आंख बंद करके समर्थन करने के चक्कर में आम आदमी पार्टी की ये गलती अपने आप बड़ा उल्लंघन है। राष्ट्रीय चिन्हों और प्रतीकों का गलत चित्रण काफी गंभीर विषय है।
इस विषय पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर करारा तंज कसते हुए ट्विटकर लिखा कि- प्रिय अरविंद केजरीवाल जी आम आदमी पार्टी का ऊपरी माला खाली है, देश का नहीं जिस जिसने भारत माँ का नक्शा बिगाड़ने के ख्वाब पाले, उनका नामोनिशान नहीं बचा।
आम आदमी पार्टी की इस हरकत से पार्टी पर 100 करोड़ रूपये तक का जुर्माना लग सकता है। भू-स्थानिक सूचना नियमन विधेयक 2016 के मसौदे के मुताबिक भारत के किसी भू-भाग के नक्शे का गलत चित्रण (Misrepresentation of map) करने पर 100 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या सात वर्ष तक की कैद हो सकती है।