न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): कोरोना वायरस से बचाव के लिए केंद्र सरकार की ओर आरोग्य सेतु एप गूगल प्ले स्टोर (Google play store) में उतारी गई। वायरस इन्फेक्शन (Virus infection) से मुहिम के बीच सरकार की ओर से इसे कारगर बताया गया। ऐप का इस्तेमाल इंफेक्शन की ट्रैकिंग ट्रेसिंग और मॉनिटरिंग के लिए किया जाता है। हालांकि ऐप पर कई बार यूजर की निजी जिंदगी में ताक झांक करने के आरोप लगते रहे हैं। एक फ्रेंच हैकर (French hacker) ने हाल ही में इसे हैक करने का दावा भी किया था। केंद्र ने आम जनता की निजता को सुनिश्चित करने के लिए इसमें खामी ढूंढने वाले को इनाम देने की घोषणा की है। जिसके लिए ऐप के सोर्स कोड (App Source Code) को जांच परख के लिए खुला छोड़ा गया है। कोई भी सॉफ्टवेयर डेवलपर (Software developer) इसकी जांच परख कर सकता है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत (Amitabh Kant, Chief Executive Officer of NITI Aayog) के मुताबिक- दुनिया भर में कोई भी सरकार इतने बड़े पैमाने पर ऐसा खुला रुख नहीं अपनाती है। सरकार पूरी तरह से जनता की निजता के प्रति उत्तरदायी है। ऐप को विकसित करते समय सुरक्षा, पारदर्शिता और निजता के बुनियादी सिद्धांतों (Basic principles) का पालन किया गया है। जिससे जनता के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता (Commitment) जाहिर होती है।
गौरतलब है कि, ऐप पर निजता के हनन (Privacy violation) का सबसे पहला आरोप राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लगाया था। कांग्रेस (Congress) के मुताबिक केंद्र सरकार इन आंकड़ों का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे (Political advantages) के लिए करेगी साथ ही इससे लोगों की निजी जिंदगी में ताक झांक करना भी मुमकिन होगा। मोदी सरकार ने इन्हीं आशंकाओं पर लगाम कसने के लिए खुली प्रतियोगिता (Open competition) का आयोजन किया। जिसके तहत खामी का पता लगाने वाले और उसमें सुधार का सुझाव देने वाले सॉफ्टवेयर डेवलपर को पुरस्कृत किया जाएगा।
नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर के डायरेक्टरेट जनरल (Directorate General of National Informatics Center) के मुताबिक- इनाम की राशि को चार हिस्सों में बांटा गया है। प्रत्येक श्रेणी के तहत एक लाख का पुरस्कार दिया जाएगा। बीते 2 अप्रैल को लांच हुई इस ऐप को फिलहाल 11.5 करोड़ लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार के इस कदम से लोगों की ऐप के प्रति विश्वसनीयता (Reliability) बढ़ेगी।