Jewellery HUID: आखिर हमारे खरीदे गये जेवरों को यूनिक ID की क्या जरूरत ?

Jewellary HUID: बहुत से लोगो को ये बात समझ नहीं आ रही होगी उनके लिये बता देता हूँ कि सरकार ने देश भर के तमाम बड़े छोटे ज्वेलर्स के लिये एक नयी व्यवस्था लागू की है। इसे HUID व्यवस्था कहा जा रहा है। HUID का अर्थ है हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन (hallmark unique identification)। ये एक 9 अंक का अल्फान्यूमेरिक कोड है, जो अब से हर ज्वेलरी पर लगाया जायेगा ताकि गहने की एक विशिष्ट पहचान सुनिश्चित की जा सके।

एचयूआईडी सिस्टम में देश के हर ज्वेलर्स/सुनार (Jewelers/ Goldsmiths) को दो ग्राम या इससे अधिक भार वाला आभूषण बनाने पर बेचने पर हर उत्पाद का विवरण बीआईएस पोर्टल पर देने के साथ उसे किस ग्राहक को बेचा, ये बताना होगा। उत्पाद की फोटो भी साइट पर अपलोड करनी होगी। इसमें सर्राफा कारोबारी का नाम, पता, हॉलमार्क सेंटर, उसका नंबर, वजन, यूनिक नंबर, गहने की शुद्धता और उसकी बिक्री का भी ब्यौरा दर्ज करना होगा

जैसे हर व्यक्ति आधार नम्बर होता है ये कुछ वैसी ही व्यवस्था है। इस नये नौ अंकों की अल्फा न्यूमेरिक विशिष्ट पहचान संख्या (Alpha Numeric Unique Identification Number-UIN) कोड को क्यूआर कोड रीडर या एक मोबाइल एप्लिकेशन के साथ पढ़ा जा सकता है। इसमें ज्वैलर्स की तो ट्रैकिंग होगी ही साथ ही कस्टमर की भी ट्रैकिंग होगी। जिससे ग्राहक की निजता को भी बड़ा खतरा है।

देश भर के ज्वैलर्स ने इसका विरोध करते हुए 23 अगस्त को एक दिन की हड़ताल की। ज्वेलर्स का कहना है कि हॉलमार्क तो ठीक है लेकिन HUID को वो लोग स्वीकार नहीं करेंगे।

यहां पर आप ध्यान इस बात पर दे कि ये हॉलमार्क नही है। ये एक उससे इतर व्यवस्था है। हॉलमार्क वाले आभूषणों पर पहले से ही बीआईएस लोगो, हॉलमार्क जारी करने वाला लैब कोड, गहने की शुद्धता, हॉल मार्किंग का वर्ष और जौहरी विवरण होता है। उससे किसी को भी प्रॉब्लम नही है, क्योंकि हॉलमार्क एक तरह की गारंटी है। इसके तहत हर गोल्ड ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अपने मार्क के द्वारा शुद्धता की गारंटी देता है। अगर गहनों पर हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है इससे ज्वैलर्स को बिल्कुल इंकार नहीं है उन्हें हर ज्वैलरी की यूनिक आइडेंटिटी से प्रॉब्लम है।

ये ज्वैलर्स को क्लर्क बनाने की कवायद है। दुकान में अगर एक ज्वेलरी पर HUID नहीं मिला तो रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस रद्द करने, बीआईएस एक्‍ट (BIS Act) 2016 के सेक्‍शन 29 के तहत एक साल तक की जेल या 1 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भरना पड़ सकता है, तलाशी और जब्ती के ऐसे कड़े नियम से गोल्ड इंडस्ट्री में इंस्पेक्टर राज आ जायेगा। मौजूदा वक़्त में देश के 256 जिलों में ही हॉलमार्क सेंटर हैं जबकि यूआईडी डालने के लिये हर जिले में 10 हॉलमार्क सेंटर (Hallmark Center) की जरूरत है।

इस नियम के लागू होने के बाद छोटा मोटा ज्वैलर्स तो साफ ही हो जायेगा और बाजार पर बड़े ब्रांड का कब्जा हो जायेगा। मुझे सिर्फ एक बात समझ नही आ रही है कि आखिर वे कौन से व्यक्ति है या ऐसे कौन से संगठन है जिन्होंने इस नियम को लागू करने की माँग की थी ? साफ है ज्वेलर्स ने तो ये माँग की नहीं होगी न किसी उपभोक्ता संगठन ने ऐसी कोई माँग सरकार के सामने रखी होगी ?

इस देश मे सोने को एक संपत्ति के रूप में जाना जाता है, जैसे जमीन जायदाद है वैसे ही सोना भी है, सरकार जल्द ही हर जमीन/मकान/दुकान/फ्लैट आदि के लिये भी एक सेंट्रलाइज्ड यूनिक आइडेंटिटी की व्यवस्था (Centralized unique identity system) लागू कर रही है।जिसे वो आधार से जोड़ेगी ओर सोने की छोटे से छोटी ज्वैलरी को एक यूनिक आइडेंटिटी देकर इस व्यवस्था की नींव डाली जा रही है।

साभार – गिरीश मालवीय

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