Russia Ukraine Conflict: आखिर को लेकर यूक्रेन क्यूं भिड़ रही है दो बड़ी जंगी ताकतें? जानने के लिये पूरा पढ़े

न्यूज डेस्क (मातंगी निगम): शीत युद्ध के बाद से रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच तनाव ने यूरोप में सबसे बड़े सुरक्षा संकटों में से एक को जन्म दिया है। हाल ही में यूक्रेन की सीमा पर 100,000 सैनिकों की तैनाती करके रूस ने बड़े तनाव को पैदा कर दिया है। साल 2014 में रूस ने यूक्रेन में अहम बंदरगाह इलाके क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था और तब से जाकर अब एक बार फिर से संघर्ष वजूद में आया।

रूस के संभावित जमीनी आक्रमण के खतरे को देखते हुए नाटो सहयोगियों (NATO allies) ने वहां अतिरिक्त सैनिक और सैन्य उपकरण भेजकर यूक्रेन के लिये अपना खुला समर्थन जगज़ाहिर कर दिया है। इन हालातों को कूटनीतिक तौर पर कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) ने बीते सोमवार (31 जनवरी 2022) को इस मामले पर चर्चा करने के लिये बैठक हुई।

साल 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति पर सोवियत संघ के पतन से पहले यूक्रेन, जिसकी सीमा रूस से पूर्व में है, सोवियत संघ का हिस्सा था। 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ के विघटन (Dissolution Of The Soviet Union) के बाद रूस की आबादी, क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में भारी कमी हो गयी। बहुत सारे प्राकृतिक संसाधनों और औद्योगिक क्षमता वाले विशाल भूभाग की कमी के कारण रूस की महाशक्ति वाली स्थिति लगभग खत्म हो गयी।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) उस खोई हुई ताकत में से कुछ को दुबारा हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं और शीत युद्ध में रूस ने जो कुछ खो दिया है उसे पाने के कवायदों पर लगातार जोर दे रहे है। उन्होंने रूसियों और यूक्रेनियन को एक मानकर इस बात पर मोहर लगा दी है। यूक्रेन सदियों से रूसी साम्राज्य का हिस्सा था, इसलिये दोनों मुल्कों के खानपान भाषा और सांस्कृतिक मान्यताओं में काफी समानता है।

आज़ादी हासिल करने के बाद यूक्रेन ने अपनी रूसी साम्राज्यवादी विरासत (Imperial Legacy) को पीछे छोड़ दिया और पश्चिमी मुल्कों (Western Countries) के साथ अपनी करीबियों को काफी बढ़ा दिया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बार-बार कहा है कि नाटो में शामिल होने के लिये यूक्रेन खतरे लाल रेखा के काफी करीब खड़ा है। जो कि चिंता का सबब़ है।

अब राष्ट्रपति पुतिन ने कुछ नाटो सदस्यों द्वारा यूक्रेन में सैन्य प्रशिक्षण केंद्र (Military Training Center) स्थापित करने की योजना पर चिंता व्यक्त की है। यूक्रेन में क्रेमलिन (Kremlin) की तरफ झुकाव रखने वाले राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच (President Viktor Yanukovich) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसके कारण 2014 में उन्हें हटा दिया गया। राष्ट्रपति यानुकोविच ने मास्को के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण यूरोपीय संघ के साथ एक सहयोग समझौते को खारिज कर दिया था।

रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप (Crimean Peninsula) पर कब्जा करके जवाब दिया और यूक्रेन के पूर्व में अलगाववादी विद्रोह का समर्थन किया। यूक्रेन और पश्चिमी मुल्कों ने रूस पर अलगाववादी विद्रोहियों (Separatist Rebels) को समर्थन देने के लिये सैनिक और हथियार भेजने का आरोप लगाया।

रूस ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वो विद्रोही नहीं रूसी स्वयंसेवक थे। कीव के मुताबिक यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र डोनबास (Industrial Area Donbass) को तबाह करने वाली लड़ाई में 14,000 से अधिक लोग मारे गये। रूस ने यूक्रेन को हथियार उपलब्ध कराने और संयुक्त युद्धभ्यास आयोजित करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों की कड़ी आलोचना की।

रूस यूक्रेन के नाटो का हिस्सा बनने के सख्त खिलाफ रहा है और उसने बीते दिसंबर में अमेरिका को भेजी अपनी सुरक्षा मांगों में ऐसा दावा किया। इन मांगों की लिस्ट में रूस की सीमा के पास किसी भी नाटो अभ्यास को रोकना भी शामिल है। साथ ही मास्को ये भी चाहता है कि नाटो पूर्वी यूरोप से पूरी तरह हट जाये। दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस कानूनी गारंटी चाहता है कि नाटो पूर्व की तरफ से अपनी तैनाती को पूरी तरह हटाये। उन्होंने कानूनी गारंटी की भी मांग की कि रूसी इलाके के करीब हथियार प्रणालियों (Weapon Systems) की तैनाती नहीं होगी।

रूस की मुख्य मांगों में यूक्रेन को अनिवार्य तौर पर नाटो सदस्य होने से प्रतिबंधित किया जाना शामिल है और ये कि नाटो गठबंधन पूर्व सीमा पर किसी तरह की सैन्य तैनाती और हथियार प्रणाली नहीं लगायेगा। इनमें से कई अल्टीमेटमों को पश्चिमी जंगी ताकतों ने सिरे से खाऱिज कर दिया। जिसके कारण कीव के आसमान पर जंग के बादल लगातार मंडरा रहे है।

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