न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कोविड-19 महामारी के बीच ‘कांवड़ यात्रा’ (Kanwar Yatra 2021) की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया साथ ही केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र को नोटिस जारी किया। अब न्यायिक पीठ 16 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) तुषार मेहता से कहा कि उन्होंने आज अखबार में बेहद परेशान करने वाली बात पढ़ी कि यूपी ने कांवड़ यात्रा कोरोना काल में कांवड यात्रा को मंजूरी दी है। जबकि उत्तराखंड सरकार ने अपने अनुभव के मद्देनज़र कांवड यात्रा की बात को सिर से खाऱिज कर रही है।
इस बीच उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि यूपी 25 जुलाई से पहले कांवड़ यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हो जायेगा। ये राज्य की जिम्मेदारी है और हम सुनिश्चित करेंगे कि RTPCR टेस्टिंग हो। ये आस्था का विषय (Matter Of Faith) है और हर साल की तरह ये यात्रा होगी। हम सुनिश्चित करेंगे कि प्रोटोकॉल लागू हों।
उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर मंत्री ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जायेगा। ये कोई नई यात्रा नहीं है। आस्था के माध्यम से कई लोग इससे जुड़े हुए हैं। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर बातचीत करेंगे।
कांवड यात्रा जिसमें उत्तरी भारत के राज्यों के शिव भक्त (Shiva Bhakt) पैदल या अन्य साधनों से हरिद्वार, उत्तराखंड में गंगा नदी से जल इकट्ठा कर अपने इलाकों के शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिये यात्रा करते हैं। ये यात्रा 25 जुलाई से शुरू होने वाली है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने उत्तराखंड सरकार से इस साल कांवड़ यात्रा न करने का आग्रह किया है। हालांकि इसने कहा है कि अगर जरूरी हो तो तीर्थयात्रियों के लिए निगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य की जा सकती है।