नई दिल्ली (दीपमाला कौशिक): वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण देशभर में वित्तीय और आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ना लगभग तय माना जा रहा है। रोजगार, मैन्युफैक्चरिंग, प्रोडक्शन्स, लॉजिस्टिक्स समेत तकरीबन सभी सेक्टरों इसकी मार पड़नी तय है। फिलहाल केंद्र समेत सभी राज्य सरकारें इंफेक्शन के बढ़ते खतरे के बीच फंड को लेकर खासा ध्यान दे रही हैं। मेडिकल आपात काल के मद्देनज़र किसी भी तरह की धन की कमी आड़े ना आए, इसके लिए अब केंद्र और दिल्ली सरकार अपने खर्चों पर लगाम कसने जा रही है। जिससे बजट की राशि प्राथमिक तौर पर मेडिकल उपकरणों की खरीद और उससे जुड़ी दूसरी मदों हो सके।
कैबिनेट मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में वित्त मंत्रालय की बजट डिवीजन ने सभी विभागों के लिए कार्यालयी ज्ञापन जारी किया। जिसके तहत वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सभी मंत्रालयों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। ये सभी मंत्रालय ज्ञापन में दी गई श्रेणियों की अनुशंसा के आधार पर ही अनुमानित बजट राशि खर्च कर पाएंगे। कैटेगरी ए के तहत आने वाले मंत्रालयों के खर्च में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बजटीय प्रावधान पहले की तरह ही जारी रहेंगे। बी श्रेणी के मंत्रालयों को निर्देश जारी किया गया कि वे अप्रैल महीने में कुल बजट का मात्र 8 फ़ीसदी ही खर्च करें। अगले दो महीनों के लिए (मई और जून) इसे 6 फ़ीसदी तक सीमित करें। कुल मिलाकर नए वित्तीय वर्ष में अनुमानित बजट राशि का 20 फीसदी से ज्यादा खर्च ना करें। कैटेगरी सी के तहत आने वाले मंत्रालयों को अनुमानित बजट राशि का 5 फ़ीसदी ही खर्च करने के लिए कहा गया है।
ऑफिशियल मेमोरेंडम के अगले निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि, सरकारी खर्चों पर लगाम कसने के साथ ज्ञापन की अनुशंसा का कड़ाई से पालन हो। मौजूदा वित्तीय दिशानिर्देशों में बदलाव करने के लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री के बजट विभाग से पूर्व अनुमति लेने की प्रक्रिया आवश्यक कर दी गई है।
दिल्ली सरकार की अगुवाई में भी कुछ ऐसा ही फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तनख्वाह छोड़कर दिल्ली सरकार के सभी विभागों के खर्चों पर रोक लगा दी है। फिलहाल वायरस संक्रमण को रोकने के लिए होने वाले खर्च को छोड़कर अन्य सभी मदों के लिए वित्त विभाग की मंजूरी आवश्यक कर दी है। दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा राजस्व की स्थिति को देखते हुए, खर्च में भारी कटौती की जा रही है। जिससे कि बजट का बड़ा हिस्सा कोरोना वायरस की रोकथाम में खर्च किया जा सके।
गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से दरख्वास्त करते हुए कहा था कि- सरकार 2 सालों तक सरकारी और सार्वजनिक कंपनियों को विज्ञापन देने से बचें। सरकारी विज्ञापनों पर होने वाले खर्च में कटौती करके, उस राशि को स्वास्थ्य सुविधायें बढ़ाने में खर्च किया जाये। खर्चों में कटौती की इस सिफारिश के कारण कांग्रेस सुप्रीमो की इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी, रेडियो ऑपरेटर फेडरेशन और नेशनल ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन ने जमकर मुखालफत की।