नई दिल्ली (ब्यूरो): जिस तरह से कोरोना वायरस देश भर में फैल रहा है, उसे देखते हुए सभी राजनीतिक दल आपसी मतभेद भुलाकर एक दूसरे के साथ काम कर रहे हैं। ऐसे माहौल में लोगों से उम्मीद की जाती है कि किसी भी तरह की अफवाहों और विवाद से दूर रहकर इस मुश्किल घड़ी का सामना करें। लेकिन सोशल मीडिया पर आज कुछ ऐसा देखने को मिला। जिससे यह उम्मीद धरी की धरी रह गई। आज सोशल मीडिया पर #मन्दिर_तेरे_बाप_का_नही_है ट्रेंड करता दिखा। गौरतलब है कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और दलित चिंतक प्रोफेसर दिलीप मंडल ने ट्वीट किया और लिखा कि मेरी ईश्वर से बात हुई है। वे बहुत दयालु हैं। वे चाहती हैं कि तमाम धर्मस्थल अपने दरवाज़े पीड़ितों के लिए खोल दें। दान पेटी में रखे धन से मास्क और सेनेटाइजर ख़रीदे जाएँ। ईश्वर ने बताया कि कोई चढ़ावा आज तक उनके पास नहीं पहुँचा।
उनके इस ट्वीट के बाद से मंदिर तेरे बाप का नहीं है ट्रेंड करने लगा। दिलीप मंडल के इस गैर जिम्मेदाराना ट्वीट के बाद ट्रोलर्स ने उन्हें जमकर ट्रोल किया। मौजूदा दौर में जिस तरह से देश नाजुक हालात से गुजर रहा है, उसके मद्देनजर प्रोफ़ेसर मंडल को ट्वीट करते हुए थोड़ा संयम बरतना चाहिए था। प्रोफ़ेसर मंडल सोशल मीडिया पर ओपिनियन मेकर के तौर पर जाने जाते हैं। उनके फॉलोअर्स की अच्छी खासी तादाद है। ऐसे में अभी तक उनकी ओर से कोरोना वायरस को लेकर सतर्कता और जागरूकता का कोई संदेश नहीं आया है। बल्कि इसके उलट वो कोरोना वायरस से धार्मिक संस्थानों को जोड़कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।