नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): Agnipath Army Recruitment Scheme: सरकारी सूत्रों ने आज (16 जून 2022) कहा कि ‘अग्निपथ’ योजना के तहत सेना की रेजिमेंटल प्रणाली (Regimental System) में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है और इसके लागू होने के पहले साल के दौरान भर्ती होने वाले रंगरूटों की तादाद सिर्फ तीन फीसदी होगी। देश के कई हिस्सों में इस नये सेना भर्ती मॉडल (Army Recruitment Model) के खिलाफ व्यापक विरोध देखा जा रहा है। इस योजना का मकसद युवाओं के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने के अवसरों को बढ़ाना है और इसके तहत कर्मियों की भर्ती सशस्त्र बलों में मौजूदा नामांकन का लगभग तिगुना होगा।
सरकार ने बीते मंगलवार (14 जून 2022) को दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव के तहत सेना, नौसेना और वायु सेना (Navy And Air Force) में चार साल के अल्पकालिक अनुबंध के आधार पर सैनिकों की भर्ती के लिये योजना की शुरूआत की। योजना के तहत साढ़े 17 से 21 साल की आयु के युवाओं को तीनों सेवाओं में शामिल किया जायेगा। चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद योजना में नियमित सेवा के लिये 25 प्रतिशत रंगरूटों को बनाये रखने का प्रावधान है।
योजना के तहत शामिल किये जाने वाले सैनिको को ‘अग्निवीर’ कहा जायेगा। कई राज्यों ने नई योजना के खिलाफ विरोध किया। कई विपक्षी राजनीतिक दलों और सैन्य विशेषज्ञों (Military Experts) ने भी इस योजना की आलोचना करते हुए कहा कि इससे सशस्त्र बलों के कामकाज पर उल्ट असर पड़ेगा। ऐसी आशंकायें थीं कि ‘अग्निपथ योजना कई रेजिमेंटों की संरचना को बदल देगी, जो खास इलाकों के साथ-साथ अहीर, गोरखा, महार, डोगरा, राजपूतों, जाटों और सिखों जैसी जातियों के युवाओं की भर्ती करती हैं।
सेना से जुड़े एक सूत्र ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि, “रेजीमेंटल सिस्टम में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। असल में इसे और बढ़ावा दिया जायेगा क्योंकि बेहतरीन ‘अग्निवीर’ का चयन किया जायेगा, जिससे रेजीमेंटल यूनिट्स (Regimental Units) की एकजुटता को और बढ़ावा मिलेगा।”
सैन्य मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक ‘अग्निवीर’ का कम अवधि का कार्यकाल सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को नुकसान पहुंचायेगा। ऐसी व्यवस्था कई देशों में मौजूद है और इसलिए ये पहले से ही परखी गयी प्रणाली है। पहले साल में भर्ती होने वाले ‘अग्निवीर’ की तादाद सशस्त्र बलों का महज़ तीन फीसदी होगी, चार साल बाद सेना में फिर से शामिल होने से पहले उनके प्रदर्शन का परीक्षण किया जायेगा।
ये योजना बीते दो सालों में सशस्त्र बलों के अधिकारियों के साथ बड़े पैमाने बातचीत के बाद शुरू की गयी। इसका प्रस्ताव सैन्य अधिकारियों द्वारा नियुक्त सैन्य अधिकारियों के विभाग द्वारा तैयार किया गया। सूत्रों ने इस आलोचना को भी खारिज कर दिया कि सशस्त्र बलों से बाहर निकलने के बाद ‘अग्निवीर’ समाज के लिये खतरा हो सकते हैं।
सेना में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि- “ये भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) के मूल्यों का अपमान है। चार साल तक वर्दी पहनने वाले युवा जीवन भर देश के लिये प्रतिबद्ध रहेंगे। अब भी हजारों लोग कौशल के साथ सशस्त्र बलों से रिटायर होते रहे हैं, लेकिन उनके राष्ट्र विरोधी ताकतों में शामिल होने का कोई मामला नहीं मिला है।”