एजेंसियां/न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): इस्लामाबाद कथित तौर पर पहले चरण के तहत तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (Tehreek-e-Taliban Pakistan -TTP) के कई आतंकवादियों को रिहा करने की सहमति के बाद टीटीपी पाक के खिलाफ राष्ट्रव्यापी युद्धविराम (Nationwide Ceasefire) का ऐलान कर सकता हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कैदियों को इस साल 1 नवंबर को रिहा किया जाना था, लेकिन कुछ तकनीकी मुद्दे के कारण उनकी रिहाई (Release) में देरी हुई। जिसके बाद आंतकियों को 4 नवंबर को रिहाई देने की बात हुई लेकिन फिर कुछ कारणों से ऐसा मुमकिन नहीं हो सका।
माना जा रहा है कि स्वात में तालिबान के शीर्ष नेता (Top Taliban Leader) महमूद खान और मुस्लिम खान समेत कुछ कैदियों को उनकी “संभावित रिहाई” के लिए अफगानिस्तान ले जाया गया। टीटीपी के पूर्व प्रवक्ता मौलवी उमर (Maulvi Umar) कथित तौर पर कैदियों के इन्हीं पहले जत्थे में शामिल थे जिन्हें सद्भाव के तहत रिहा किया जाना था। हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों और तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी (Mohammad Khurasani) ने इस बात पर फिलहाल कोई बयान नहीं दिया है। जिसके कारण इस खब़र की अभी तक अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पायी है।
गौरतलब है कि टीटीपी ने इमरान सरकार से अपने पांच सीनियर “लीडर्स” को रिहा करने की मांग की थी ताकि वो बातचीत के दौरान सरकार की गंभीरता पर भरोसा करना शुरू कर सकें। जिसके बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने खुद पांच अहम नेताओं समेत 102 कैदियों को छोड़ने की पेशकश की ताकि शांति प्रक्रिया के नतीज़े सामने आ सकें।
इन सभी कैद आतंकियों को पाकिस्तान की अलग अलग जेलों से उत्तरी वजीरिस्तान मिरांशा (North Waziristan Miransha) के मुख्यालय में ले जाया गया था, ताकि उन्हें अफगानिस्तान के खोस्त में ट्रांसफर किया जा सके और उनकी रिहाई के लिये उन्हें अफगान तालिबान को सौंप दिया जा सके।
अभी तक किसी भी कैदी को अफगानिस्तान में नहीं ले जाया गया था। वे अभी भी मिरानशाह में हैं, लेकिन उन्हें अफगानिस्तान में सीमा पार करने के लिये किसी भी वक़्त ले जाया जा सकता है। इसी मुद्दे को लेकर पाकिस्तान सरकार और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नेताओं के बीच कई बैठकें हुई हैं। जिसके तहत पहली बैठक काबुल में तालिबानी राज कायम होने के बाद हुई। इसी फेहरिस्त में अगली दो मीटिंग्स अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में की गयी। जिसमें दोनों और के लोगों में लंबी बातचीत की।
अफगानिस्तान में तालिबान की अगुवाई वाली सरकार में कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) कथित तौर पर पाकिस्तान और प्रतिबंधित आंतकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं ताकि एक "व्यापक" "शांति समझौते" पर पहुंचा जा सकें। माना जा रहा है कि इन आंतकी कैदियों की रिहाई के बाद टीटीपी इस्लामाबाद के खिलाफ़ सीज़फायर (Ceasefire) का ऐलान करेगा, जिसके बाद पाकिस्तान में दो दशक से चल रहे आतंकवाद के खात्मे का औपचारिक ऐलान (Formal Announcement) करेगा। फिलहाल आंतकियों के खिलाफ पाक सेना का ऑप्रेशन जर्ब-ए-अज़्ब (Operation Zarb-e-Azb) ठंडे बस्ते में जाता दिखायी दे रहा है।