न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): राहुल गांधी, प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) कांग्रेस के कई दिग्गज़ नेता एग्रीकल्चर बिल के मुद्दे पर केन्द्र सरकार को लगातार घेरे रहना चाहते है। कांग्रेस की सियासी रणनीति अब इस मुद्दे को जनवादी बनाकर देशव्यापी माहौल में बदलने की है। कहीं ना कहीं इसकी सुगबुगाहट भी शुरू हो चुकी है। विरोध से सुर हरियाणा और पंजाब से सबसे ज़्यादा उभर रहे है। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु से भी विरोध प्रदर्शन की खब़रे सामने आ रही है। कांग्रेस समर्थित किसान यूनियन (Congress Supported Farmers Union) भी माहौल को गर्माने में लगी हुई है।
इसी मुहिम के तहत कई जगह अनोखे विरोध प्रदर्शन भी देखे गये। तमिलनाडु में किसानों ने नरकंकाल लेकर अपना रोष जाहिर किया। बिहार में किसानों के समर्थन में आरजेडी की अगुवाई में तेज प्रताप ट्रैक्टर की छत बैठकर जलूस में निकले। दरभंगा में आरजेडी कार्यकर्ताओं (RJD worker) ने भैंस पर बैठकर नये कृषि कानून का विरोध किया। इसके साथ ही कई जगह राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे लाइन को बाधित कर एग्रीकल्चर बिल के खिलाफ आवाज़ बुलन्द की गयी।
कांग्रेसी लगातार मामले पर हमलावर रूख़ बनाये हुए है। कांग्रेस ने कृषि संबंधी विधेयकों को ‘असंवैधानिक और संघीय ढांचे के खिलाफ’ बताया। कांग्रेसी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे जमींदारी प्रथा की वापसी बताते हुए कहा कि इससे देश में मुनाफाखोरी को मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। बिल अगर कानून की शक्ल अख़्तियार करता है तो ये संघीय ढांचे की आत्मा के खिलाफ (Against the federal structure) होगा।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कृषि बिल के खिलाफ हो रहे किसानों के विरोध का समर्थन किया और लिखा कि, जीएसटी के कारण एमएसएमई का खात्मा हो गया। नए कृषि कानून हमारे किसानों को गुलाम बनायेगा।
प्रियंका गांधी ने भी केन्द्र सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाते हुए ट्विटकर लिखा कि- किसानों से MSP छीन ली जाएगी। उन्हें कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए खरबपतियों का गुलाम बनने पर मजबूर किया जाएगा। न दाम मिलेगा, न सम्मान। किसान अपने ही खेत पर मजदूर बन जाएगा। भाजपा का कृषि बिल ईस्ट इंडिया कम्पनी (East India Company) राज की याद दिलाता है। हम ये अन्याय नहीं होने देंगे।