24-25 फरवरी को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के गुजरात दौरे के मद्देनजर, अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (Ahmadabad Municipal Corporation) ने आधा किलो मीटर लंबी दीवार खड़ी कर दी,ताकि रास्ते में पड़ने वाली झुग्गी झोपड़ियों और गरीबी को ढका जा सके। यह झुग्गी झोपड़ी वाला इलाका सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंदिरा ब्रिज के बीच पड़ता है। ये सब इसलिए किया जा रहा है, जिससे नंगी गरीबी को ढ़क सबके सामने खुशहाल तस्वीर पेश की जा सके। आखिर सरकार गरीबी हटाने की बजाए ढ़कने की कोशिश क्यों करती है? यह बेहद शर्मसार करने वाला मसला है कि, देश में हाशिए पर जी रहे लोगों की जरूरतों से जुड़े हुई चीजों और मुद्दों को छुपाया जाता है। जैसे गरीबी भुखमरी, बेरोजगारी, दोयम दर्जे की स्वास्थ्य सुविधाएं, राष्ट्रीय स्तर पर गिरती शैक्षणिक व्यवस्था, लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, अपराध और भ्रष्टाचार। कोई भी सरकार इनके उन्मूलन को लेकर संजीदगी नहीं दिखाती है, जबकि वास्तविक विकास यही है। साथ ही जो इन मुद्दों पर सवाल उठाता है, उसे आतंकी और नक्सली कहा जाता है। तो ऐसे में क्या राष्ट्रवाद यही है कि व्यवस्था में बैठी इन जोकों को ना रोका जाए। वो देश को यूं ही पतन के रास्ते पर ले जाएं। देश के करदाताओं की गाढ़ी कमाई से इकट्ठे किए गए, टैक्स के पैसे का नतीजा कहां है? अगर विकास के यही मायने हैं तो आखिरी उम्मीद ईश्वर से ही की जा सकती है। उठिए और सवाल पूछिए व्यवस्था में बैठी इन जोकों से। ताकि आने वाले नस्लों को एक बेहतर देश मिल सके ना कि बनाई हुई इस तरह की दीवारें।
Donald Trump के गुजरात दौरे से पहले सरकार ने झुग्गियों के आगे खड़ी की दीवार
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