न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): अहमदाबाद (Ahmedabad) की एक अदालत ने बीते शुक्रवार (16 सितम्बर 2022) को गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) को 18 अन्य लोगों समेत साल 2016 के एक मामले में 6 महीने की कैद की सजा सुनायी। हालांकि अहमदाबाद मेट्रो पुलिस (Ahmedabad Metro Police) कोर्ट ने 17 अक्टूबर तक सजा पर रोक लगा दी है ताकि वो अपील दायर कर सकें और आरोपियों को जमानत दे सकें। अदालत ने सभी 19 लोगों को जमानत भी दे दी।
मेवाणी ने अन्य कई दलित अधिकार समूहों के साथ मिलकर साल 2016 में गुजरात विश्वविद्यालय (Gujarat University) के कानून भवन का नाम बदलने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने मांग की कि इमारत का नाम डॉक्टर बीआर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) के नाम पर रखा जाये।
बता दे कि जिग्नेश मेवाणी फिलहाल असम की अदालत से मिली जमानत पर बाहर हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के खिलाफ उनके कथित ट्वीट्स के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। मेवाणी को असम पुलिस (Assam Police) की एक टीम ने गुजरात के पालनपुर (Palanpur) इस मामले में गिरफ्तार किया था।
इस साल मई में गुजरात की एक अदालत ने साल 2017 के एक मामले में बिना इजाजत रैली निकालने के मामले में मेवाणी को तीन महीने जेल की सजा सुनायी थी।
वडगाम विधायक जिग्नेश मेवाणी, रेशमा पटेल, राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के कौशिक परमार और सुबोध परमार समेत 10 अन्य लोगों को तीन महीने की कैद और 1000 रूपये के जुर्माने की सजा सुनायी गयी। ये सभी साल 2017 में बनासकांठा (Banaskantha) के पड़ोसी जिले में निकाले गये आज़ादी कूच में शामिल थे। जो कि मेहसाणा से धनेरा (Mehsana to Dhanera) के बीच निकाला गया था। इसी मामले में साल 2017 में मेहसाणा पुलिस ने आईपीसी की धारा 143 के तहत मेवानी और अन्य लोगों के खिलाफ गैरकानूनी विधानसभा का मामला दर्ज किया था। असम राज्य कांग्रेस इकाई ने गुजरात विधायक की गिरफ्तारी का विरोध किया था। स्वतंत्र विधायक के तौर पर चुने गये मेवाणी ने सितंबर 2019 में कांग्रेस (Congress) को अपना समर्थन दिया।