न्यूज डेस्क (अपराजिता घोष): नुकसान मानवता को इस तरह से जोड़ता है जैसा और कोई नहीं कर सकता। लगभग सभी अपनी ज़िन्दगी के दौरान किसी ऐसे को खोते जिन्हें वो बेइंतहा प्यार करते है, ऐसे लोगों के दुनिया छोड़कर जाने बाद उनकी जगह कोई नहीं भर सकता। हालाँकि कई स्टार्टअप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की कई तकनीकी क्षमताओं का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। ये कंपनियां आपको अपने मृत प्रियजनों से बात करवाने की कोशिश करने के लिये एआई का इस्तेमाल करती हैं।
नुकसान के साथ आने वाले दुःख से निपटने वाले किसी भी शख़्स के लिये ये तकनीक एक वरदान हो सकती है, लेकिन ये नैतिक का प्रश्न भी उठाती है।
जिन लोगों को हमने खोया है उन्हें कोई वापस नहीं ला सकता। हालाँकि ये तकनीक उनकी मौजूदगी के एक हिस्से को पकड़ने की कोशिश करती है, जो कि आपको कुछ राहत देने में मदद कर सकता है। ये सेवा प्रदान करने वाले कई स्टार्टअप हैं। डीपब्रेन एआई नाम की ऐसी ही एक कंपनी ने इस काम के लिये “रिमेमोरी” नाम का एक प्रोग्राम तैयार किया है।
एआई फर्म के डेवलपमेंट प्रमुख जोसेफ मर्फी (Joseph Murphy) के मुताबिक, वो घंटों के वीडियो का इस्तेमाल करके मृतक की डिजिटल प्रतिकृति बनाते हैं।
मर्फी कहते हैं कि, “हम नया कॉन्टेंट नहीं बनाते हैं।” कंपनी का कहना है कि वो सिर्फ ये दोहराने की कोशिश करती है कि जिंदा रहने पर मृतक व्यक्ति किसी मुद्दे विशेष पर क्या कहेगा, इस काम के लिये कंपनी ने खास किस्म के एआई एल्गोरिद्म (state-of-the-art AI algorithms) विकसित किये है।
कंपनी का रिमेमोरी प्रोग्राम नये कॉन्टेंट को बनाने की पॉलिसी को फॉलो नहीं करता है। प्रोग्राम को ऐसे डिजाइन किया गया है, जिसमें मृतक व्यक्ति से बात करने के लिये उनकी सोच ज़ाहिर होगी। मृतक व्यक्ति की डिजिटल प्रतिकृति ज़िन्दगी रहने के दौरान मृतक के सामान्य सोच और व्यवहार के पैटर्न पर आधारित होगी।
ठीक इसी तर्ज पर एक अन्य कंपनी स्टोरीफाइल भी तकनीक विकसित कर रही है, जो कि इसी तरह की एआई तकनीक, एल्गोरिद्म और डीप लर्निंग पर आधारित है। कंपनी ने दावा किया है कि वो अपनी सर्विस की एक्यूरेसी और बेहतर करने के लिये न्यूरल नेटवर्क तकनीक (Neural Network Technology) को भी इसमें जोड़ा जा सकता है।
इसी मुद्दे पर स्टोरीफाइल के प्रमुख स्टीफन स्मिथ ने कहा कि, “हमारा नज़रिया साफ है, किसी शख़्स के संज्ञानात्मक और व्यवहारिक पैटर्न की प्रोफाइलिंग कर उसे खास किस्म के एल्गोरिद्म से एनकोड करना, साथ ही इस काम के लिये बेहतर एआई टूल्स डेवलप करना। ये एक बहुत अच्छा नैतिक क्षेत्र है, हमारे डेवलपर्स की टीम काफी सावधानी के साथ इस काम को आगे बढ़ा रही है। StoryFile, के कई हज़ार यूजर्स पहले से ही इसकी Life सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।”
इसी तरह की एक और सर्विस ‘रेप्लिका’ का नाम से जानी जाती है, इसे रूसी इंजीनियर यूजेनिया क्यूडा ने विकसित किया है। कुछ साल पहले साल 2015 में क्यूडा ने अपने सबसे अच्छे दोस्त रोमन को कार दुर्घटना में खो दिया। इस दुख से निपटने के लिये उन्होंने रोमन नाम का चैटबॉट डेवलप किया। इस चैटबॉट को हजारों टैक्स्ट मैसेज का इस्तेमाल करके प्रशिक्षित किया गया था, जो कि उनके मृत मित्र ने अपने प्रियजनों को भेजे थे। दो साल बाद क्यूडा ने रेप्लिका पेश किया। ये ऐसा मंच है जो हाईली एडवांस पर्सनलाइज्ड़ कर्न्वसेसन बॉट की सुविधा मुहैया करवाता है।
हालांकि रेप्लिका प्रवक्ता के मुताबिक अपने पूर्ववर्ती रोमन चैट बॉट के उलट रेप्लिका मृतक प्रियजन को फिर से बनाने के लिये बनाया गया मंच नहीं है।
ऐसी ही एक कंपनी सोनामियम स्पेस लोगों के जिंदा रहते हुए उनके वर्चुअल क्लोन बनाना चाहती है। व्यक्ति के गुजर जाने के बाद ये क्लोन एक अलग दुनिया में मौजूद होंगे। अपने उत्पाद लिव फॉरएवर का ऐलान करते हुए एक YouTube वीडियो में CEO Artur Sychov ने माना किया कि ये कॉन्सेप्ट सभी के लिये नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी इस सर्विस के साथ व्यक्तिगत विकल्पों को भी जोड़ा गया हैं।
कई लोग ऐसी सेवाओं को नैतिक के मुद्दे से जोड़कर देख रहे है। ऐसे में माना जा रहा है कि ये दार्शनिक चुनौतियाँ हैं, तकनीकी चुनौतियाँ नहीं। बड़ी चुनौती ये भी है कि एआई अवतार वो बातें कह सकते हैं जो कि व्यक्ति ने असल जिन्दगी में कभी नहीं कही।
इस मुद्दे पर जॉनसन एंड वेल्स विश्वविद्यालय (Johnson & Wales University) में चिकित्सा मनोविज्ञान की प्रोफेसर मारी डायस ने अपने शोकाकुल रोगियों से उनके मृत प्रियजनों के साथ वर्चुअल कॉन्टेक्ट पर उनके विचारों के बारे में पूछा, जिस पर उन्होनें खुलासा किया कि सबसे आम जवाब है ‘मुझे एआई पर भरोसा नहीं है। मुझे डर है कि ये कुछ ऐसा कहने जा रहा है, जिसे मैं स्वीकार नहीं कर पाऊंगा। वो एआई में विश्वास की भारी कमी ज़ाहिर करते हैं। उन्हें डर है कि एआई अवतार कुछ ऐसा कह सकता है, जिसे वे स्वीकार नहीं कर सकते, और उन्हें लगता है कि अवतार के कामों, बातचीत और प्रतिक्रिया पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।