एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): BBC Documentary Controversy: पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी (AK Antony) के बेटे अनिल के एंटनी ने आज (25 जनवरी 2023) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को असहिष्णु करार देते हुए ट्वीट कर कांग्रेस (Congress) छोड़ने का ऐलान कर दिया। ट्विटर पर अपना त्याग पत्र साझा करते हुए अनिल ने लिखा कि, “मैंने कांग्रेस में अपनी सभी भूमिकाओं से इस्तीफा दे दिया है – केपीसीसी डिजिटल मीडिया के संयोजक और एआईसीसी सोशल मीडिया (AICC Social Media) और डिजिटल संचार सेल के राष्ट्रीय समन्वयक के पद से मैं इस्तीफा देता हूँ।”
उन्होंने आगे कहा कि, “बोलने की आजादी के लिये लड़ने वालों ने असहिष्णु ट्वीट को वापस लेने का आह्वान किया। मैंने इनकार कर दिया। प्यार को बढ़ावा देने के लिये ट्रेक का समर्थन करने वालों की ओर से नफरत/अपशब्दों की फेसबुक वॉल! पाखंड तुम्हारा नाम है! जीवन चलता रहता है।”
खत में अनिल ने कहा कि “मेरी अपनी अनूठी ताकत है जो उन्हें पार्टी में कई तरीकों से प्रभावी ढंग से योगदान करने में सक्षम बनाती। हालांकि अब तक मुझे अच्छी तरह से पता चल गया है कि आप, आपके सहयोगी और आपके नेतृत्व के आस-पास की मंडली सिर्फ चापलूसों और चमचों के झुंड के साथ काम करने के इच्छुक हैं, जो कि निर्विवाद रूप से आपके इशारे पर काम करेंगे।”
अनिल ने कहा कि उनके इस्तीफे के कई कारण थे, लेकिन डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ मंगलवार (24 जनवरी 2023) के उनके ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर उन पर किये गये जुबानी हमले इस्तीफे की अहम वज़ह बने।
उन्होंने दावा किया कि उनके ट्वीट जो तटस्थ थे, उनका गलत मतलब निकाला गया और खराब रोशनी में उन्हें पेश किया गया, इसके बाद कई कांग्रेसी उन्हें इसे वापस लेने या इसे बदलने के लिये कहने लगे। इस मुद्दे पर उन्होनें कहा कि- “मैंने कहा कि ये मुमकिन नहीं है। हालांकि रात 8 बजे के बाद मेरे फेसबुक पेज पर कई पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से मुझे गालियां दी गयी। मैंने उन्हें हटाया नहीं है। मैं ये देखकर निराश था कि पार्टी की संस्कृति किस स्तर तक गिर गयी है।”
उन्होंने कहा, “मैं पार्टी नहीं छोड़ रहा हूं, लेकिन मैं पार्टी में कोई पद नहीं लूंगा”
अनिल एंटनी (Anil Antony) मंगलवार को बीबीसी ब्रॉडकास्टर की ओर से पीएम मोदी पर डॉक्यूमेंट्री दिखाये जाने के मद्देनजर देश के मामलों में दखल देने के लिये बीबीसी के खिलाफ सामने आये। इसी मामले की बुनियाद पर उन्होनें ट्विट कर लिखा कि- “बीजेपी के साथ बड़े मतभेदों के बावजूद मुझे लगता है कि पूर्वाग्रहों के एक लंबे इतिहास के साथ राज्य-प्रायोजित चैनल बीबीसी और इराक युद्ध की नींव रखने वाले जैक स्ट्रॉ के विचारों को मीडिया संस्थानों पर रखना खतरनाक मिसाल कायम कर रहा है।”
आखिर में उन्होंने कहा कि, “हमारे बीच चाहे जो भी आंतरिक मतभेद हों, हमें देश में विभाजन करने वाली बाहरी एजेंसियों को इसका फायदा नहीं उठाने देना चाहिये।”