नई दिल्ली (शौर्य यादव/एजेंसियां): UC News के एक पूर्व कर्मचारी की तहरीर पर गुडगांव के जिला सत्र न्यायालय ने Alibaba के फाउंडर जैक मा (Alibaba founder Jack Ma) सहित कम्पनी के प्रबंधन से जुड़े उच्चाधिकारियों (Management officials) को पेशी के लिए समन जारी कर दिये है। यूसी वेब में एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत रहे पूर्व कर्मचारी पुष्पेंद्र सिंह परमार ने अपनी शिकायत में बताया कि, कंपनी गलत तरीके से सेंसरशिप और भारत विरोधी खब़रों का चयन (Selection of anti-India news) करती है। जिस पर आपत्ति जताने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है।
पुष्पेंद्र सिंह परमार ने अपनी शिकायत में आगे कहा- UC News और UC Browser ऐसी खब़रों की मॉनिटरिंग और सेंसरशिप (Monitoring and censorship) करवाते थे। जो चीन की स्थापित नीतियों के खिलाफ होती थी। साथ ही उन आधारहीन खबरों को खासतौर पर प्रोत्साहित किया जाता था, जिनसे भारत में सियासी और आम लोगों की ज़िन्दगी में उथल-पुथल मच सके। शिकायतकर्ता (Complainant) ने कंपनी पर 2,68,000 डॉलर के मुआवज़े का दावा भी ठोका है।
शिकायत का संज्ञान में लेते हुए सिविल जज सोनिया शिवखंड (Civil Judge Sonia Shivkhand) ने अलीबाबा के संस्थापक सहित कंपनी से जुड़े कई लोगों को 29 जुलाई को पेशी के लिए समन जारी कर दिया। मामला मीडिया में सामने आने पर कंपनी ने बयान जारी करते हुए कहा- UC News और UC Browser की सभी व्यावसायिक गतिविधियां (Business activities) भारतीय बाजार और स्थानीय कर्मचारियों के कल्याण के प्रति पूरी तरह से अनुकूल और ज़वाबदेह है। साथ ही कंपनी स्थानीय नियामकों (Local regulators) द्वारा तय नियमों के पालन के लिए पूर्णरूपेण प्रतिबद्ध रही।
UC India की ओर से मामले पर फिलहाल कोई औपचारिक बयान (Formal statement) सामने नहीं आया है। शिकायतकर्ता पुष्पेंद्र सिंह परमार ने अपनी शिकायत के समर्थन में UC News और UC Browser पर पब्लिश हुए पोस्ट्स से जुड़े स्क्रीनशॉट्स और क्लिप (Screenshots and clips) जिला न्यायालय में साक्ष्य के तौर पर जमा करवाये। कंपनी द्वारा उपलब्ध करवाये गये संवेदनशील की-वर्डस से जुड़ी सूची भी न्यायालय में जमा करवायी गयी। जिसके आधार पर कंपनी कॉन्टेंट मॉनिटरिंग और सेंसरशिप का काम करती है। इनमें 1962 War, India-China border, और Sino-India war खासतौर से शामिल है।
दूसरी ओर कंपनी से जुड़े सूत्रों ने टेन्ड्री न्यूज़ को ऑफ रिकॉर्ड बताया कि, पुष्पेंद्र सिंह परमार पैसे लेकर कुछ खास मीडिया संस्थानों की खब़रों को UC News और UC Browser पर Inorganic तरीके से Optimize करते थे। जिसके एवज़ में उन्हें भारी पैसों का भुगतान होता था। जब इस धांधली का पता कंपनी कंपनी के शीर्ष प्रबंधन (company management) को लगा तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। UC News से निकाले जाने के बाद जब उन्होनें दूसरे मीडिया संस्थान में नौकरी की तो, दुर्भावना से ग्रस्त होकर साज़िशन UC India के खिलाफ खब़रें चलवायी।
हम अपने पाठकों को बताना चाहेगें कि, UC News और UC Browser एक तरह से News Aggregator Platform है, जिसका इस्तेमाल कर दूसरे मीडिया संस्थान इस प्लेटफॉर्म अपनी खब़रे डालते है। जिन मीडिया संस्थानों की खब़रों UC News सबसे ज़्यादा पढ़ा जाता था। कंपनी उस मीडिया संस्थान को मोटा भुगतान करती थी।