Bar Council of Delhi ने जारी किये फरमान, बार काउंसिल वोटिंग के लिये जरूरी होगी ऑल इंडिया बार एक्ज़ामिनेशन की बाध्यता

नई दिल्ली (यामिनी गजपति): हाल ही में दिल्ली विधिज्ञ परिषद (Bar Council of Delhi) ने फरमान जारी करते हुए बार काउंसिल वोटिंग में हिस्सा लेने के लिये ऑल इंडिया बार एक्ज़ामिनेशन पास करने का बाध्यता जारी कर दी। जो वकील इस परीक्षा को पास करेगें वहीं संबंधित राज्यों की बार काउंसिल की वोटिंग में हिस्सा लेकर वोट डाल सकेगें।

हाल ही में दिल्ली बार काउंसिल ने इससे जुड़े परिपत्र संख्या 186/Gen./SF/2021 को जारी किया। दिल्ली विधिज्ञ परिषद का माननीय सचिव द्वारा हस्ताक्षरित (Signed by Hon’ble Secretary) इस परिपत्र में साल 2013 के सर्कुलर का हवाला दिया गया है। जिसमें विस्तृत जानकारी दर्ज है। इस संबंध परिषद ने सर्व सम्मति से विश्वास प्रस्ताव अगस्त 2012 में पास किया था।

मौजूदा सर्कुलर के मुताबिक जिन अधिवक्ताओं ने ऑल इंडिया बार एक्ज़ामिनेशन पास नहीं किया उन्हें बार काउंसिल दो साल के लिये प्रोविज़नल एनरोलमेंट (Provisional Enrollment) जारी करेगी, इस समयावधि के दौरान अधिवक्ताओं के बार काउंसिल में मताधिकार नहीं दिया जायेगा। कई किसी भी राज्य की बार काउंसिल ऐसे वकीलों को मेम्बरशिप देती भी है तो उन्हें स्पष्ट करना होगा कि मेम्बरशिप पूरी तरह प्रोविज़नल है।

दिल्ली विधिज्ञ परिषद के सचिव पीयूष गुप्ता ने इन नियमों का सख़्ती से पालन करने के निर्देश जारी किये साथ ही इसी नियम की बुनियाद पर वोटर लिस्ट तैयार करने की बात कहीं। गौरतलब है कि अप्रैल 2012 के दौरान दिल्ली बार काउंसिल के तत्कालीन सचिव जेआर शर्मा (The then Secretary JR Sharma) ने इस मामले को लेकर विस्तृत आदेश (BCI:D: 1516/STBC सर्कुलर संख्या 4/2013) जारी किया था। जिसमें कहा गया कि जिन अधिवक्ताओं ने ऑल इंडिया बार एक्ज़ामिनेशन पास नहीं उन्हें प्रोविजनली एनरोल किया जायेगा साथ ही काउंसिल द्वारा जारी किये प्रमाणपत्र और आईडी पर खासतौर से प्रोविजनल लिखा जायेगा।

इसके साथ ही एआईबीई परीक्षा पास ना करने वाले अधिवक्ताओं को बार काउंसिल द्वारा प्रायोजित किसी भी जन कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा। दो साल के भीतर एआईबीई उत्तीर्ण (AIBE Passed) ना करने वाले वकील का प्रोविजनल प्रमाणपत्र और आई कार्ड सीज़ कर दिया जायेगा। इसके साथ ही सभी राज्य की बार काउंसिल को हिदायत दी गयी कि एआईबीई सर्टिफिकेट वेरिफाई करने के बाद ही वकालत लाइसेंस और सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस जारी करें।

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