न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): देशव्यापी लॉकडाउन (Nationwide lockdown) के चलते आम जनता को कई चीजें उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से थोक और खुदरा व्यापारी (Wholesale and retail trader) सीमित दायरे में ही वस्तुओं की बिक्री कर पा रहे हैं। हाल ही में लॉकडाउन के दौरान जब देश के कई राज्यों ने शराब बिक्री से पाबंदी हटाई तो, शराब के शौकीनों ने कोरोना का डर भुलाकर, सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) को धत्ता बताते हुए शराब खरीदी। शराब की बिक्री खोलने के पीछे राज्य सरकारों द्वारा ये तर्क दिया जा रहा है कि, इससे राजस्व (Revenue) में हुए घाटे की पूर्ति कुछ हद तक संभव हो पाएगी। अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स (International news agency Reuters) के मुताबिक वेस्ट बंगाल स्टेट ब्रेवरेजेस कॉर्पोरेशन (West Bengal State Breweries Corporation) ने नोटिस जारी कर ऑनलाइन शराब डिलीवरी (Online alcohol delivery) को मंजूरी दे दी है।
अब जल्द ही प्रदेश में अमेजॉन और बिग बॉस्केट (Amazon and big basket) शराब की डिलीवरी करते नज़र आएंगे। पश्चिम बंगाल प्रशासन ने शराब की ऑनलाइन खुदरा बिक्री (Online retailing) के लिए अमेजॉन को आधिकारिक तौर पर पंजीकृत (Officially registered) कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनी (E-commerce company) को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही अब अलीबाबा द्वारा वित्त पोषित भारतीय ग्रॉसरी कंपनी बिग बास्केट (Alibaba-funded Indian grocery company Big Basket) भी पश्चिम बंगाल में शराब की ऑनलाइन खुदरा बिक्री कर पाएगी। मई महीने के दौरान कुछ राज्यों में स्विगी और जोमैटो (Swiggy and Zomato) ने ऑनलाइन शराब ऑर्डर्स की डिलीवरी की थी। फिलहाल बिगबास्केट और अमेजॉन की तरफ से अब तक खबर पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया (Official response) सामने नहीं आई है।
पश्चिम बंगाल सरकार की इस पहल से, दो फायदे सीधे तौर पर होते दिख रहे हैं। अगर शराब के शौकीनों को घर बैठे ही शराब मिलेगी तो सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना गाइडलाइंस (Social Distancing and Corona Guidelines) का बेहतर तरीके से पालन हो पाएगा। जिससे वायरस इन्फेक्शन का जोखिम (Risk of virus infection) कम होगा। साथ ही राज्य सरकारों के राजस्व घाटे (Revenue deficit) की भी पूर्ति हो पाएगी। लेकिन शराब खरीदने वाले की उम्र और ऑनलाइन डिलीवरी से जुड़ी पेचीदगियों (Intricacies) पर राज्य सरकार और ई-कॉमर्स कंपनियों को विचार विमर्श करना होगा।