न्यूज डेस्क (देवेंद्र कुमार): India-Canada Relation: विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (US Secretary of State Antony Blinken) के बीच आज (28 सितंबर 2023) होने वाली बैठक से पहले अमेरिका ने कहा कि उन्होंने खालिस्तान समर्थक नेता की हत्या पर भारत-कनाडा विवाद पर अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है।
पत्रकारों से बात करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) ने कहा कि, “मैं उस बैठक (जयशंकर के साथ) में उनकी (ब्लिंकन) हुई बातचीत को पहले से आंकना नहीं करना चाहता, लेकिन जैसा कि हमने साफ कर दिया है, हमने इसे उठाया है; हमने इस पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है और उन्हें कनाडाई जांच में सहयोग करने के लिये कहा है, और हम उन्हें सहयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे।’
बता दे कि मिलर आज दोपहर को विदेश विभाग के फोगी बॉटम मुख्यालय (Foggy Bottom Headquarters) में तयशुदा जयशंकर-ब्लिंकन बैठक पर सवालों का जवाब दे रहे थे, जो कि भारतीय स्थानीय समय के मुताबिक लगभग आधी रात को होगी। माना जा रहा है कि दोनों शीर्ष राजनयिकों से मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने की उम्मीद नहीं है, लेकिन संभावना है कि वो एक साथ तस्वीरें जरूर खिंचवायेगें।
ये बैठक भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद शुरू होने से काफी पहले निर्धारित की गयी थी, अमेरिका ब्रिटिश कोलंबिया (British Columbia) में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर (Sikh separatist Hardeep Singh Nijjar) की हत्या की कनाडाई जांच में सहयोग करने की लगातार गुज़ारिश कर रहा है।
कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो (Canadian Prime Minister Justin Trudeau) की ओर से भारत सरकार और इस साल की शुरुआत में कनाडा में खालिस्तान समर्थक नेता की हत्या के बीच संभावित संबंध का आरोप लगाने के बाद भारत और कनाडा के बीच गतिरोध शुरू हो गया। इसके बाद कनाडा में एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया गया। आरोपों को बेतुका और राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया। भारत ने जैसे को तैसा वाली कार्रवाई करते हुए दिल्ली में एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया। साथ ही भारत कहा कि सहयोग के लिये वो पूरी तरह तैयार है, अगर कनाडा की ओर से कोई खास जानकारी मुहैया करवायी जाती है तो नई दिल्ली उस पर गौर करने के लिये जरूर तैयार होगा।
ट्रूडो ने ये भी कहा कि उन्होंने 9-10 सितंबर को G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिये अपने दौरे के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस मुद्दे को उठाया था। नई दिल्ली में अपनी द्विपक्षीय बैठक में मोदी ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों को लेकर खासा चिंता जतायी थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (US President Joe Biden) और कई अन्य पश्चिमी नेताओं ने कनाडा के दावों के बारे में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से चिंता जाहिर की थी कि उनके मुताबिक नई दिल्ली से जुड़े एजेंट वैंकूवर (Vancouver) में निज्जर की हत्या में शामिल थे, जब वो इसी महीने जी20 शिखर सम्मेलन में उनसे मिले थे। खुफिया जानकारी साझा करने वाले नेटवर्क फाइव आईज, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं, के कई सदस्यों ने इस मुद्दे को जमकर उठाया था।
दूसरी ओर बिडेन को लगा कि इस मुद्दे को सीधे अपने भारतीय समकक्ष के सामने उठाना अहम होगा। व्हाइट हाउस ने इस पर बयान देने से इनकार कर दिया कि क्या बिडेन ने जी20 में मोदी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी। हालातों से वाक़िफ दो लोगों ने कहा कि, कनाडा ने अपने सहयोगियों से मामले को सीधे मोदी के सामने उठाने का आग्रह किया, जिसके बाद नेताओं ने जी20 शिखर सम्मेलन में मामले को लेकर दखल दिया, ओटावा ने उन्हें निजी तौर पर दावों का जिक्र करने के लिये कहा।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट दी है कि निज्जर की हत्या के बाद अमेरिका ने कनाडा को खुफिया जानकारी मुहैया करायी थी, लेकिन ओटावा की ओर से इंटरसेप्ट किये गये कम्युनिकेशन ज्यादा कन्फर्म थे और साथ ही इसने भारत पर साजिश रचने का आरोप भी लगाया।
इसी मुद्दे पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए, ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक (British Prime Minister Rishi Sunak) के प्रवक्ता ने कहा कि- “ब्रिटेन इन गंभीर आरोपों को लेकर कनाडा के संपर्क में था, लेकिन इससे भारत के साथ देश की व्यापार वार्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। व्यापार वार्ता पर काम पहले की तरह जारी रहेगी। कनाडाई अधिकारी अब अपना काम करेंगे और मैं उन्हें छूट नहीं दूंगा।”
श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी (Sri Lankan Foreign Minister Ali Sabri) ने कनाडाई संसद में पीएम ट्रूडो को बयानों को अपमानजनक, बेबुनियादी आरोप करार दिया। साबरी ने कहा कि उन्हें इस मामले को लेकर हैरानगी नहीं है क्योंकि कुछ आतंकवादियों को कनाडा में सुरक्षित ठिकाना मिल गया है। उन्होंने दावा किया कि, ”कनाडाई प्रधानमंत्री के पास बिना किसी सबूत के अपमानजनक आरोप लगाने का यही तरीका है।” उन्होंने ये भी कहा कि ट्रूडो ने उनके देश की राजनीतिक हालातों के बारे में इसी तरह के बयान जारी किये थे। साबरी ने कहा कि, “मुझे नहीं लगता कि किसी को भी दूसरे देशों में घुसकर ये नहीं बताना चाहिये कि हमें अपने देश पर कैसे शासन करना चाहिये।”