नई दिल्ली (निकुंजा राव): वाशिंगटन का रवैया बीजिंग के प्रति दिन-प्रतिदिन आक्रमक होता जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पॉम्पियो (Secretary of State Mike Pompeo) खुलकर चीन की मुखालफत करते दिख रहे हैं। पिछले एक हफ्तों के घटनाक्रम नज़र डाले तो अमेरिकी प्रशासन अप्रत्यक्ष रूप से चीनी पर हमलावर है। अमेरिका लगातार चीन पर जुबानी और आर्थिक हमले कर रहा है। साउथ चाइना-सी (South China Sea) में अमेरिकी वायु सेना ने लंबी दूरी के बॉम्बर्स (Long distance bombers) उड़ा कर काफी हद तक अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। कूटनीति और राजनयिक मोर्चों पर अमेरिका चीन को घेरने की कोशिश लगातार कर रहा है। ताजा हालातों में अमेरिका ने चीन पर बड़ा आर्थिक हमला बोलते हुए, पेइचिंग में किए निवेश को वापस लेना शुरू कर दिया। चीनी औद्योगिक इलाकों में आर्थिक हितों को संरक्षित करने के लिए वाशिंगटन (Washington) ने पेंशन और निवेशों से हाथ खींचना शुरू कर दिया है। जिसकी वज़ह से दोनों देशों के कूटनीतिक संबंध बेहद नाजुक दौर से गुजरते दिख रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन ने चीन पर बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) और शोध कार्यों की चोरी करने का भी आरोप लगाया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने चीनी कंपनियों की शेयर्स लिस्टिंग को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (New York Stock Exchange) और नैस्डेक (Nasdaq) जगह देने की संभावनाओं पर विराम लगाते हुए, उन्हें लंदन, हांगकांग या कहीं ओर जाने का इशारा किया। अगर ऐसा होता है तो चीन की ओर से उभर रही बाजारवादी ताकतों (Market forces) को भारी झटका लगना तय है।
अमेरिकी बाजारों की अहमियत बताते हुए ट्रंप ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा- अगर हम चीन से अपने रिश्ते तोड़ लेते हैं तो ऐसा करके हम तकरीबन 500 बिलियन डॉलर बचा सकते हैं। कोरोना वायरस को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप (President trump) और अमेरिकी सांसदों का चीन के प्रति आक्रामक रवैया, चीनी कंपनियों को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में जगह देने से रोकना, साउथ चाइना-सी में अमेरिकी लड़ाकू विमानों का युद्धक अभ्यास, राष्ट्रपति ट्रंप का चीन से संबंध तोड़ने वाला बयान, चीनी रॉकेट का न्यूयॉर्क शहर में गिरने से बचना। इन सभी कड़ियों (Links) को जोड़कर नतीजा निकलता है कि, अप्रत्यक्ष रूप से दोनों देशों के बीच आर्थिक, सामरिक और राजनयिक मोर्चे (Economic, strategic and diplomatic front) पर युद्ध छिड़ा हुआ है।
कोरोना वायरस के कारण दोनों देशों के बीच पैदा हुई तल्ख़ियां तीसरे विश्वयुद्ध की संभावनाओं को पैदा करती दिख रही हैं।
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