एजेंसियां/न्यूज एजेंसियां (शाश्वत अहीर): Russia Ukraine Conflict: सीमा पर सैन्य गतिविधियों में इज़ाफे के बीच रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया है। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन (National Security Advisor Jake Sullivan) ने बीते रविवार (6 जनवरी 2022) को चेतावनी दी कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर यूक्रेन पर हमले का फरमान जारी सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमला हुआ तो मानवता को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) के वरिष्ठ सलाहकार की ओर से ये दूसरी चेतावनी है। इससे पहले, अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि इस महीने के मध्य तक रूस ने अपने मनचाहें सैन्य उपकरणों का कम से कम 70 फीसदी इकट्ठा कर चुका होगा।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक इसका मकसद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ हमला शुरू करने का विकल्प मुहैया कराना है। उन्होंने सीधे तौर पर उन रिपोर्टों का जिक्र नहीं किया जिसके मुताबिक व्हाइट हाउस (White House) ने सांसदों को जानकारी दी है कि रूस हमला शुरू कर सकता है और कीव (Kiev) पर तुरन्त कब्जा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप 50,000 लोग हताहत हो सकते हैं।
दूसरी ओर रूस ने कहा है कि उसका यूक्रेन पर हमला करने या उस पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने सीमा पर एक लाख सैनिकों की तैनाती सुरक्षा चिंताओं के मद्देनज़र की है। रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके अगुवाई वाले 30 देशों के सैन्य गठबंधन के सामने कुछ प्रमुख मांगें रखी हैं जिन्हें उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO- North Atlantic Treaty Organization) गठबंधन कहा जाता है।
अमेरिका और नाटो के लिये रखी गयी अपनी मांग में रूस ने कहा है कि यूक्रेन को नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल नहीं किया जाना चाहिये और उन्हें पश्चिमी देशों को पूर्व की ओर विस्तार नहीं करना चाहिये। हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो दोनों ने इन मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। रूस और यूक्रेन संकट के समाधान के लिये अमेरिका और रूसी अधिकारियों ने कई बैठकें भी की हैं।
इन हालातों में भी अभी ये तय नहीं है कि जर्मनी रूस के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेगा या नहीं। इस वज़ह से पश्चिमी मीडिया जर्मनी को अविश्वासी सहयोगी के तौर पर देख रहा है। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ सोमवार (7 जनवरी 20222) को जो बाइडेन से मिलने के लिये वाशिंगटन जा रहे हैं। माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन में तनाव पर जर्मनी ने जो चुप्पी साध रखी है वो अब टूट जायेगी।
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ (German Chancellor Olaf Scholz) भी बड़ा संदेश दे सकते हैं, क्योंकि जर्मनी की रूस और यूक्रेन के तनावों पर उनके संयुक्त रुख के लिये आलोचना की गयी जो यूरोप पर असर डाल सकती है।
बता दे कि यूक्रेन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन का सदस्य देश बनना चाहता है। रूस इसका विरोध कर रहा है क्योंकि नाटो अमेरिका और पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन है। रूस नहीं चाहता कि उसका पड़ोसी देश नाटो का सदस्य बने क्योंकि 24 अगस्त 1991 में आजाद होने से पहले यूक्रेन कभी अविभाजित सोवियत संघ का हिस्सा था।
दो पड़ोसी देशों रूस और यूक्रेन के बीच इस पूरे विवाद ने एक नयी जंग की संभावना को जन्म दिया है, जिसमें कई देश हिस्सा ले सकते हैं। रूस ने भी काला सागर में अपने जंगी बेड़े (War Fleet) तैनात किये हैं, जो खतरनाक मिसाइलों से लैस हैं। काला सागर (Black Sea) रूस, जॉर्जिया, रोमानिया के साथ यूक्रेन की सीमा में है। क्रीमिया 18 मार्च 2014 तक यूक्रेन के साथ था। लेकिन बाद में रूस ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे ज़मीन भूमि हथियाने के क्रम में इस पर कब्जा कर लिया। मौजूदा हालातों में इस इलाके पर रूस का नियंत्रण है।