एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन (Ukraine) में अमेरिकियों (Americans) को मास्को और कीव के बीच तनाव के बीच तुरंत देश छोड़ने की चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिकियों को वहां से निकालने के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने का मतलब ‘विश्व युद्ध’ होगा।
“अमेरिकी नागरिकों को अब वहां से निकल जाना चाहिये,” बिडेन ने एनबीसी न्यूज के साथ इंटरव्यूह के दौरान कहा। “ऐसा नहीं है कि हम एक आतंकवादी संगठन के साथ काम कर रहे हैं। हम दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक के साथ काम कर रहे हैं। ये बेहद अलग ही हालात है और स्थितियां जल्द ही काबू से बाहर हो सकती हैं,”
ये पूछे जाने पर कि किन हालातों में अमेरिकी सैनिकों को अमेरिकियों को निकालने के लिये यूक्रेन में घुसने की जरूरत होगी, बिडेन ने जवाब दिया कि: “ऐसा नहीं है। ये एक विश्व युद्ध (World War) है, जब अमेरिकी और रूस एक दूसरे पर गोलीबारी शुरू कर सकते हैं।”
इस बीच अमेरिकी विदेश विभाग ने यूक्रेन में अमेरिकियों से जल्द से जल्द देश छोड़ने की अपील करते हुए नई सलाह जारी की है, जो पहले की चेतावनियों से काफी मजबूत है, जिसमें अपने नागरिकों से इस तरह की कार्रवाई पर विचार करने का आग्रह किया गया था।
इस मामले पर अमेरिकी विदेश विभाग के सलाहकार ने कहा कि- “रूसी सैन्य कार्रवाई और कोरोना महामारी के बढ़ते खतरों के वज़ह से अमेरिकी नागरिक यूक्रेन की यात्रा न करें; यूक्रेन में रहने वालों को अब कर्मिशियल या निजी माध्यमों का इस्तेमाल कर वहां से निकल जाना चाहिये। अगर यूक्रेन में रहते हैं तो अपराध, नागरिक अशांति और संभावित युद्ध के कारण ज़्यादा सावधानी बरतें। संभावित रूस की सैन्य कार्रवाई कभी भी शुरू हो सकती है। कुछ इलाकों में तनाव बेहद चरम पर पहुँच गया है।”
बीती 23 जनवरी को विदेश विभाग ने अमेरिकी राजनयिकों के परिवार के सदस्यों और सीधे काम पर रखने वाले कर्मचारियों की यूक्रेन से निकलने की एडवायजरी जारी की थी। साथ ही ये सिफारिश भी की गयी कि यूक्रेन में मौजूद अमेरिकी नागरिकों को अगर ऐसा लगता है कि सुरक्षा हालात बेहद बदतर होने वाले है तो उन्हें वहां से तुरन्त निकल जाना चाहिये।
इस बीच 82वें एयरबोर्न डिवीजन से अमेरिकी सैनिकों का पहला समूह 5 फरवरी को पोलैंड (Poland) पहुंचा। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी (John Kirby) ने खुलासा किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका से 1,700 अतिरिक्त सैनिकों को पूर्वी यूरोप (Europe) के अलग-अलग मोर्चों पर तैनात किया जायेगा। रूस के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका यूरोप में अस्थायी तौर पर अतिरिक्त बल तैनात करेगा। 1,000 अमेरिकी कर्मियों को जर्मनी (Germany) से हटाकर रोमानिया (Romania) में तैनात किया जायेगा। नाटो रिस्पांस फोर्स के लिये बुलाए जाने पर 8,500 सैनिकों को आगे बढ़ने के लिये तैयार रखा जायेगा।