नई दिल्ली (गौरांगी यदुवंशी): बढ़ रही आपदा महामारी के हालातों में सियासी वार-पलटवार का किस्सा निकल कर सामने आ रहा है। जिसे लेकर सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के बीच रार ठनती दिखी। पश्चिम बंगाल के प्रवासी मज़दूरों को सकुशल घर वापस भेजने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से पश्चिम बंगाल सरकार को खत लिखा गया। खत के मुताबिक मज़दूरों की वापसी को लेकर ममता बनर्जी सरकार संजीदगी नहीं दिखा रही है। जो सहयोग गृह मंत्रालय को राज्य सरकार से मिलना चाहिए, वो नहीं मिल रहा। अन्य राज्यों से प्रवासी मज़दूरों को सूबे में लाने वाली ट्रेन को पश्चिम बंगाल प्रशासन राज्य में घुसने की इजाज़त नहीं दे रहा। राज्य सरकार की ये कवायद मज़दूरों के साथ नाइंसाफी है साथ ही ये फैसला श्रमिकों के लिए और भी मुसीबतें पैदा करेगा।
गृह मंत्रालय की ओर से लिखे इस खत के बाद सियासी गलियारे में गर्माहट देखी गई। भाजपा और टीएमसी नेताओं के बीच ज़ुबानी जंग में तेजी आ गई। तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने भाजपा पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि- टीएमसी पर लगाया आरोप अमित शाह साबित करें वरना माफी मांगे। सियासी मौके की नज़ाकत को भांपते हुए कांग्रेस भी मैदान में कूद पड़ी। कांग्रेस ने कहा गृह मंत्रालय को ठीक इसी किस्म का रवैया कर्नाटक और गुजरात सरकार के खिलाफ भी अख़्तियार करना चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने तो गृह मंत्री अमित शाह को राज्यों के साथ मिलकर काम करने की नसीहत तक दे डाली।
कांग्रेसी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी इस मामले पर बयान देते हुए कहा- गृह मंत्री अमित शाह को ठीक ऐसा ही खत गुजरात और कर्नाटक सरकार को भी लिखना चाहिए। दोनों राज्य की सरकार, मज़दूरों को उनके घर वापस जाने से जबरन रोक रही हैं।
ऐसे में भाजपा के लिए हमारी तो यही सलाह है कि इस समय गैर भाजपाई राज्यों से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता साधने के बजाए, इन्हें मज़दूरों की सहायता और हितों के लिए कारगर रणनीतियां बनाने पर गौर करना चाहिए।