न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह के अगले हफ़्ते से उत्तर प्रदेश में धुंआधार चुनावी प्रचार (UP Election 2022) में उतर सकते है। साफ है कि भाजपा राज्य में सत्ता बनाये रखने के लिये अपने चुनावी अभियान को तेज करना चाहती है। चुनाव आयोग (Election commission) द्वारा जनसभाओं और रोड शो पर प्रतिबंध 22 को जनवरी तक बढ़ा दिया गया है, और भाजपा नेतृत्व पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिये अपने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में व्यस्त है। शाह शनिवार (22 जनवरी 2022) के बाद अपना दौरा शुरू करेंगे और संगठनात्मक नेताओं (Organizational Leaders) समेत बैठकें करेंगे पूरे उत्तर प्रदेश को कवर करने के लिये।
पांच चुनाव वाले राज्यों में पार्टी के कई नेताओं द्वारा अपने परिजनों के लिये टिकट की मांग के बीच भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि- पार्टी किसी भी ऐसे उम्मीदवार को टिकट नहीं देगी, जिसके रिश्तेदार या रक्त संबंधी पहले ही सांसद या विधायक पद पर बने हुए है। हालांकि ये नियम उन पर लागू नहीं होगा जो पहले से विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक भले ही प्रतिबंध लागू रहता है लेकिन चुनाव आयोग ने कुछ शर्तों के तहत इनडोर बैठकों (Indoor Meetings) की इज़ाजत दी है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता ने ये भी विश्वास ज़ाहिर किया कि भाजपा अपने साल 2017 के कारनामे को दोहरायेगी, जब उसने 403 सदस्यीय विधानसभा में 300 से ज़्यादा सीटें जीती थीं, ये कहते हुए कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अगुवाई वाली सरकार का कानून के मुद्दे पर प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा है। पार्टी केंद्र की मोदी सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रम की बुनियाद पर यूपी में सरकार बनायेगी।
भाजपा से ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (OBC leader Swami Prasad Maurya) समेत अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में दलबदल के बारे में पूछे जाने पर और उनके आरोपों के बारे में कि ये पिछड़ी जाति विरोधी है, पार्टी नेता ने कहा कि ये नेता अनिवार्य रूप से अपनी जातियों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं और क्या हो सकता है उनके इस्तीफे का कारण ये है कि भाजपा इन समुदायों पर जीत हासिल करने में सफल रही है, जिससे वे हाशिये पर चले गये हैं।
उन्होंने कहा कि मौर्य, सैनी या नूनिया जैसी पिछड़ी जातियों को भाजपा के संगठन में और उसकी सरकार में जिस तरह का प्रतिनिधित्व मिला है, वो सभी को देखने को मिला है। उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी ने इन समुदायों को कभी कोई स्थान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि ये दलबदलू जो कुछ भी कहें, इन समुदायों के पास भाजपा का समर्थन न करने का कोई कारण नहीं है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में मतदाताओं ने स्पष्ट जनादेश दिया है और भाजपा को यकीन है कि इस बार भी कुछ अलग नहीं होगा। साल 2014 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections) के बाद से जब भाजपा ने अपनी 80 में से 71 सीटें जीती थीं, पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में और फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रतिद्वंद्वियों को हाशिये पर धकेल दिया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (SP President Akhilesh Yadav) योगी सरकार के कथित लचर प्रशासन को लेकर भाजपा पर निशाना साधते रहे हैं और प्रतिद्वंद्वी दलों के नेताओं को शामिल करके अपनी पार्टी के आधार को व्यापक बनाने का काम कर रहे हैं।
बता दे कि यूपी में सात चरणों में मतदान 10 फरवरी से शुरू हो रहा है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 107 सीटों के लिये अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, और आने वाले दिनों में बाकी की सीटों के लिये अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान भी कर सकती है, इसके अलावा चार अन्य चुनावी राज्यों – उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के लिये भी भाजपा बड़े चुनावी दांव लगा सकती है क्योंकि पांच चुनावी राज्यों में से चार राज्यों में भाजपा की सरकार है।