न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): आज से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दो-दिवसीय पश्चिम बंगाल (Two Day visit of West Bengal) दौरा शुरू हो गया। इस दौरान उन्होनें खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी और रामकृष्ण आश्रम में पूजा-अर्चना भी की। इसके साथ ही वो दिलीप घोष की अगुवाई में पूर्वी मिदनापुर (East Midnapore) में आयोजित एक रैली को भी संबोधित करेगें। कयास ये भी लगाये जा रहे है कि टीएमसी का दामन छोड़ने वाले कई दिग्गज़ नेता इसी दौरान भाजपा में शामिल हो सकते है। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज़ और कद्दावर नेताओं पर ममता दीदी का साथ छोड़ा है। जो कि उनके लिए बड़ा झटका है।
भाजपा ने टीएमसी की कमजोर नब़्ज को अच्छे से पहचान लिया है और उसका पूरा फायदा उठाकर बंगाल को भगवा रंग में रंगने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में भाजपा उन विधानसभा सीटों पर काफी जोर दे रही है, जिन्हें साध पाना आसान है। इसके साथ ही उन सीटों के लिए खास समीकरण तैयार किये जा रहे है, जो कि परम्परागत तौर पर टीएमसी सीटें मानी जाती रही है। इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल के कंथी उत्तर से टीएमसी विधायक बनश्री मैती (TMC MLA Banashree Maiti) ने भी टीएमसी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
हालांकि इन विपरीत हालातों के बीच ममता बनर्जी को कुछ राहत भी मिली है। विधायक जितेंद्र तिवारी ने पार्टी आलाकमान से माफी मांगते हुए तृणमूल कांग्रेस में ही बने रहने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद उनके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों को विराम लग गया है। हाल ही में आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो (MP Babul Supriyo) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर उनकी बीजेपी में एन्ट्री का खासा विरोध किया था। जिसके बाद जितेंद्र तिवारी को मज़बूरन यू-टर्न मारना।
आज अमित शाह पूर्वी मिदनापुर की रैली से बाद शाह बीरभूम के बोलपुर हनुमान मंदिर, स्टेडियम रोड से बोलपुर सर्किल तक रोड शो निकालकर ममता बनर्जी को खुली चुनौती देगें। देर शाम गृह मंत्री अमित शाह बीरभूम में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर टीएमसी के खिलाफ़ रणनीति का खुलासा कर सकते है। भाजपा आलाकमान कैलाश विजयवर्गीय, दिलीप घोष और जेपी नड्डा के काफिल पर हुए हमले के बाद टीएमसी का लगातार सियासी घेराव कर रहा है। आक्रामक तेवर अख़्तियार करते हुए पश्चिम बंगाल के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व (BJP top leadership) ने अमित शाह को दो-दिवसीय पश्चिम बंगाल दौर आयोजित करवाया। फिलहाल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव दोनों पार्टी के लिए जीत से कहीं ज़्यादा राजनीतिक अस्मिता का सवाल बन गया है।