न्यूज़ डेस्क (दिगान्त बरूआ): Kanpur के विकास दुबे (Vikas Dubey) मामले ने साफ कर दिया कि, यूपी पुलिस का लापरवाह रवैया उन्हीं के लिए कितना भारी पड़ गया। जिसकी कीमत ज़वानों को गवांकर पुलिस को भुगतनी पड़ी। बिकरू गांव का कोई भी शख़्स स्थानीय लोग थाने में अगर विकास दुबे के खिलाफ शिकायत लेकर जाता था तो, उसकी सूचना पहले से ही विकास तक पहुँच जाती थी। यूपी पुलिस ने लंबे अर्से तक उसकी कारगुज़ारियां को नज़रअन्दाज़ किया। खब़र ये भी है कि, पुलिसिया महकमें की मुखबिरी के कारण ही ज़वान शहीद हुए। ऐसे में कानपुर से एक और मामला सामने आया। जिसने यूपी पुलिस (UP Police) के काम करने के तौर-तरीकों पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
कानपुर (Kanpur) में पुलिस की नाक के नीचे से अपहरणकर्ता फिरौती रकम ले उड़े। पुलिस ना तो पैसे बचा पायी और ना ही अपहृत लड़के छुड़ा पायी। जैसे ही मामला सामने आया तो पुलिस मामले पर लीपापोती करने लगी। मीडिया में खबर सामने आने के बाद जब पुलिस पर दबाव बढ़ने लगा तो, जांच में लगी पूरी टीम से खिलाफ जांच बैठा दी गयी। अपहरण की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गयी है।
पीड़ित परिवार ने संदिग्ध तौर पर अपहरणकर्ताओं के नाम भी पुलिस के सामने जाहिर किये, बावजूद इसके पुलिस उन तक पहुँचने में नाकाम रही। परिजनों के मुताबिक एसपी अपर्णा गुप्ता और एसएचओ रणजीत राय ने मामले पर पूरी तरह गैर पेशेवराना ढंग से काम किया। घरवालों को आश्वासन दिया गया कि, फिरौती रकम अपहरणकर्ताओं तक पहुँचा दो। उसके बाद पुलिस अपहृत लड़के और फिरौती की रकम दोनों को बरामद कर लेगी। पीड़ित परिवार ने पुलिस के आश्वासन पर पुश्तैनी ज़मीन बेचकर 30 लाख रूपये इकट्ठा किए।
फिरौती के रकम बैग में रखने से पहले अपहृत लड़के के घरवालों ने बैग में चिप लगाने की बात कही। जिसे पुलिस ने नहीं माना। आखिरकर वहीं हुआ जिसका संदेह घरवालों को था। बदमाश रूपये भी ले गये और अपहृत लड़का भी बरामद नहीं हो पाया। अहम बात ये है कि, अब पुलिस ये दावा कर रही है कि, बैग में पैसे ही नहीं थे। जबकि परिवार वालों ने खुद 30 लाख रूपये बैग में डालने की बात कही है।
ये सब होने के बाद परिवारवालों ने पुलिस पर डराने-धमकाने और मुँह बंद रखने की धमकी देने का आरोप लगाया। ऐसे में कई बड़े सवाल उठते है- जब परिवार वालों ने बैग में चिप लगाने की बात कही तो, जांच टीम ने ऐसा क्यों नहीं किया? क्या जांच टीम में कोई बदमाशों के लिए मुखबिरी कर रहा था? पुलिस की नाक के नीचे से बदमाश कैसे निकल गये? पुलिस ने बदमाशों को 30 लाख किन आधारों पर देने के लिए कहा? क्या पुलिस की पहले से ही बदमाशों से सांठगांठ थी? जब पीड़ित परिवार पुलिस के कहे अनुसार चल रहा था और लगातार मोबाइल से बदमाशों के सम्पर्क में था, तब पुलिस अपहरणकर्ताओं तक क्यों नहीं पहुँच पायी?