नई दिल्ली (जंयती संघमित्रा): आक्रामक तेवरों (Aggressive attitude) के साथ पत्रकारिता करने के लिए मशहूर रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी (Republic TV’s Editor-in-Chief Arnab Goswami) को देश का सांप्रदायिक सौहार्द (Communal harmony) बिगाड़ने के आरोप में, लोअर परेल स्थित एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन (NM Joshi Marg Police Station, Lower Parel) में लंबी पूछताछ से गुजरना पड़ा। इस दौरान उन्हें तकरीबन साढ़े चार घंटे पुलिस स्टेशन में बिताने पड़े। अर्नब के साथ रिपब्लिक टीवी के चीफ फाइनेंस ऑफिसर एस. सुंदरम (Republic TV Chief Finance Officer S.K. Sundaram) से भी महाराष्ट्र पुलिस ने कड़ी पूछताछ की।
गौरतलब है कि, रज़ा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के सेक्रेटरी इरफान अबूबकर शेख (Irfan Abubkar Sheikh, Secretary of Raza Educational Welfare Society) ने बीते 29 अप्रैल को रिपब्लिक टीवी पर प्रसारित हुए, कार्यक्रम पर आपत्ति जताते हुए पायधुनी पुलिस स्टेशन (Paidhuni Police Station) में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत के मुताबिक प्रसारित हुई कार्यक्रम की विषय-वस्तु ने इरादतन तौर पर समुदाय विशेष को निशाना बनाते हुए, नफरत फैलाने की कोशिश की है। जिससे देश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। लॉकडाउन के दौरान 14 अप्रैल को एकाएक बांद्रा रेलवे स्टेशन (Bandra Railway Station) के बाहर प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। इसी मुद्दे पर रिपब्लिक टीवी पर प्रसारित हुए कार्यक्रम में अर्नब गोस्वामी ने कहा था- लॉक डाउन के हालातों के दौरान आखिर भीड़ मस्जिदों (Mosques) के पास ही क्यों इकट्ठा होती है? पुलिस के पास दर्ज की गई शिकायत में इसका जिक्र किया गया है।
शिकायतकर्ता ने सबूत के तौर पर शो की फुटेज पेन ड्राइव में महाराष्ट्र पुलिस को सौंपी। मामले पर इंडियन पिनल कोड (Indian Penal Code) 120-बी, 295-ए, 153, 153-ए, 505-(2), 500, और 511 के तहत धाराएं लगाई गई है। मुंबई हाईकोर्ट (Mumbai High Court) में मामले की सुनवाई के दौरान अर्नब गोस्वामी को पायधुनी पुलिस स्टेशन में पेश ना होकर एनएम मार्ग पुलिस स्टेशन में पूछताछ के लिए हाजिर होने की छूट दी।
पूछताछ की प्रक्रिया खत्म होने के बाद अर्नब गोस्वामी ने मीडिया से कहा- जिस वीडियो क्लिप (Video Clip) के तहत पूरा मामला दर्ज किया गया है। वो शो का महज़ 3 फ़ीसदी हिस्सा है। पुलिस के पास मुझसे पूछताछ करने के लिए कुछ भी ठोस नहीं था। ये पूरी तरह से सियासी कवायद (Political Moves) है। कुछ लोग जानबूझकर मीडिया (Media) के कामों में बाधा डालना चाह रहे हैं।