एजेंसियां/न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक बीते शुक्रवार (17 मार्च 2023) को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) और रूसी अधिकारी मारिया अलेक्सेयेवना लवोवा-बेलोवा (Maria Alekseyevna Lvova-Belova) के खिलाफ यूक्रेनी बच्चों को रूस भेजने की कथित योजना के लिये गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
पश्चिमी नीदरलैंड (Netherlands) के उत्तरी सागर तट पर हेग (Hague) में स्थित आईसीसी (ICC- International Criminal Court) ने एक साल से ज्यादा वक्त से चल रहे युद्ध के दौरान यूक्रेन में रूसी सेना की ओर से किये गये युद्ध अपराधों के लिये रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर जिम्मेदार होने का आरोप लगाया।
विश्व अदालत ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा कि पुतिन “जनसंख्या (बच्चों) के अवैध निर्वासन और यूक्रेन के कब्जे वाले इलाके से आबादी (बच्चों) के अवैध निर्वासन और कई युद्ध अपराध के लिये कथित रूप से जिम्मेदार हैं।”
इसने इसी तरह के आरोपों पर रूसी संघ के राष्ट्रपति के कार्यालय में बच्चों के अधिकारों के लिये आयुक्त मारिया अलेक्सेयेवना लावोवा-बेलोवा की गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया। अभी तक रूस ने आईसीसी के इस कदम पर कोई बयान जारी नहीं किया है।
रूस (Russia) ने पिछले साल फरवरी में यूक्रेन (Ukraine) पर हमला करने के बाद से किसी भी तरह का अत्याचार करने से इनकार किया है। खास बात ये रही कि ये वारंट युद्ध अपराध के लिये रूस पर संयुक्त राष्ट्र समर्थित जांच के ठीक एक बाद सामने आया है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की समर्थित जांच में रूस पर यूक्रेन में व्यापक युद्ध अपराध करने का आरोप लगाया, जिसमें उसके नियंत्रण वाले इलाकों में बच्चों का जबरन निर्वासन का अपराध भी शामिल था।
संयुक्त राष्ट्र नरसंहार सम्मेलन (United Nations Genocide Convention) में रूस पर पांच आरोप लगाये गये, जिनमें से एक ये था कि यूक्रेनी बच्चों को ज़बरन रूस में निर्वासित करने की कवायदें मास्को (Moscow) की ओर से छेड़ी गयी। इसी तथ्य को बुनियाद बनाते हुए क्रेमलिन (Kremlin) पर नरसंहार का मुकदमा चलाया जा सकता है।
हालांकि राष्ट्रपति पुतिन का कामयाब प्रत्यर्पण बड़ी चुनौती साबित हो सकता है क्योंकि रूस द हेग में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है। रूस जानबूझकर नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से अब तक इनकार करता रहा है, लेकिन उसके रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने का दावा किया है।
रूस ने साल 2000 में रोम क़ानून पर हस्ताक्षर किये, जो कि ICC को नियंत्रित करता है, लेकिन मास्को ने इसका सदस्य बनने के समझौते की कभी पुष्टि नहीं की। रूस ने औपचारिक रूप से साल 2016 में ICC के संस्थापक क़ानून से अपने हस्ताक्षर को रोक दिया, जिसके एक दिन बाद अदालत ने एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें क्रीमिया के रूसी कब्जे को अवैध कब्जे के तौर पर वर्गीकृत किया गया था।
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से क्रेमलिन ने कई प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ रिश्ते तोड़ लिये, जिससे पश्चिम से रूस का अलगाव काफी गहरा गया है।
पिछले साल मार्च में रूस को यूरोप की परिषद से बाहर निकाल दिया गया था, यूक्रेन पर उसके हमले को लेकर महाद्वीप के प्रमुख मानवाधिकार प्रहरी के इस कदम से रूस काफी झल्ला गया था।
बता दे कि मास्को साल 2024 के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS-International Space Station) से अपने हाथ पीछे खींच रहा है, साथ ही उसने विश्व व्यापार संगठन (WTO- World Trade Organization) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO- World Health Organization) से हटने की धमकी दी है।