Assembly Election 2022: महामारी की तीसरी लहर के बीच सजा रहा है डिजिटल चुनावी प्रचार मैदान

नई दिल्ली (शाश्वत अहीर): पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2022) और कोरोना महामारी की तीसरी लहर के बीच राजनीतिक दलों ने मैदानी रैलियों के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिये है और मतदाताओं तक पहुंचने के लिये डिजिटल मोड (Digital Mode) का रुख किया है। पार्टियां चुनावी राज्यों में डिजिटल रैलियों की योजना बना रही हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) के जरिये मतदाताओं तक गहरी पैठ बनाने के लिये रणनीति तैयार की जा रही है।

इस बीच कांग्रेसी खेमे ने डिजीटल चुनावी प्रचार (Digital Election Campaign) प्रसार का पूरा खाका तैयार कर लिया है। जिसके तहत वर्चुअल रैलियों का आयोजन किया जायेगा। कांग्रेस पार्टी जूम, गूगल मीट, फेसबुक, व्हाट्सएप और ऐसे ही दूसरे प्लेटफॉर्म के जरिये लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेगी।

कांग्रेस सभी रैलियों को रद्द करने और वर्चुअल मोड (Virtual Mode) पर स्विच करने वाली पहली पार्टी थी। कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों पर अहम जगहों पर पर एलईडी स्क्रीन लगायी जायेगी और रैलियों का आयोजन किया जायेगा जहां लोगों तक डिजिटल मोड (Digital Mode) की बेहद कम पहुँच है। चुनाव वाले राज्यों में कांग्रेस तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है और कांग्रेसी सोशल मीडिया कैम्पेन पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर में कन्ट्रोल रूम बनाने के साथ ही शुरू हो गया है।

प्रत्येक राज्य के लिये गठित टीम पहले ही संबंधित राज्यों की राजधानियों में चली गयी है। दूसरी कई अन्य पार्टियों ने सोशल मीडिया कैम्पेन (Social Media Campaign) में आगे रहने की कोशिश करते हुए काम पर ध्यान लगाना करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने दावा किया कि उनकी डिजिटल मीडिया कैम्पेन (Digital Media Campaign) की कमान वॉलंटियर्स के हाथों में है, ना कि किसी आउटसोर्स स्टाफ या कंपनी के पास। फिलहाल भाजपा और आप समेत दूसरी पॉलिटिकल पार्टियों कहीं ज़्यादा आगे कांग्रेस पार्टी की तैयारियां पहुँच चुकी है।

अन्य राजनीतिक दल भी डिजिटल मोड में जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि बीजेपी वर्चुअल रैलियां (Virtual Rallies) करने को तैयार है।

मीडिया से बात करते हुए शेखावत ने कहा कि चुनाव आयोग रैलियों के लिए दिशा-निर्देश तय करेगा और भाजपा उनका पालन करेगी। उन्होनें कहा कि- भाजपा वर्चुअल रैलियों के लिये पूरी तरह तैयार है। हमने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान वर्चुअल रैलियां कीं। कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान जब सभी राजनीतिक दल हाइबरनेशन (शीत निद्रा) में चले गये तो बीजेपी वर्चुअल प्लेटफॉर्म (Virtual Platform) के जरिये बूथ स्तर पर सक्रिय थी।

बता दे कि भाजपा ने 8,000 पार्टी वर्करों को ट्रेनिंग दी है, जो प्रत्येक संभाग में सोशल मीडिया वॉरियर (Social Media Warrior) होंगे। राज्य को उत्तर प्रदेश में लगभग 2,000 संभागों में बांटा गया है। पार्टी उन लोगों पर ध्यान देगी जो उसकी सामाजिक योजनाओं के लाभार्थी रहे हैं और प्रत्येक भाजपायी कार्यकर्ता को एक खास काम दिया जायेगा।

सभी राजनीतिक दलों ने अपने सोशल मीडिया विंग (Social Media Wing) को चुनाव प्रचार के लिए तैयार रहने को कहा है। समाजवादी पार्टी ने लोगों तक पहुंचने के लिये एक वेबसाइट शुरू की है, जहां वो अहम नेताओं की वर्चुअल रैलियों का वेबकास्ट (Webcast Of Virtual Rallies) करेगी।

बसपा जिसकी डिजिटल स्पेस (Digital Space) में मौजूदगी ना के बराबर है, ने तकनीकी कर्मचारियों और सोशल मीडिया वॉलंटियर्स (Social Media Volunteers) की एक टीम को भी काम पर रखा है और लोगों तक पहुंचने के लिये विशेषज्ञों की मदद ले रही है। हालांकि इस बार सोशल मीडिया सबसे बड़ा साधन होगा लेकिन प्लेटफार्मों पर भारी खर्च की अटकलें हैं। राजनीतिक व्यवस्था के सूत्रों का कहना है कि यहां पारंपरिक रैलियों के मुकाबले बहुत कम खर्च होता है।

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