विनिवेशीकरण की प्रक्रिया देश में जोरों से चल रही है। केन्द्र सरकार अपने तहत आने वाली कई कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने के लिए तैयार दिख रही है। जिसके तहत केन्द्र सरकार अपने पास रखे इन कंपनियों के शेयर्स को पूरी तरह से आईपीओ लिस्टिंग कर बेच रही है या फिर आंशिक रूप से उनके शेयर मार्केट में उतार रही है। इसी कवायद के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी BPCL को बेचने की तैयारी हो रही है। जिसके तहत इसके 53 प्रतिशत शेयर बाज़ार में उपलब्ध होगें।
केन्द्र सरकार के मुताबिक BPCL की पूरी हिस्सेदारी बेचने से 60,000 करोड़ रूपये का राजस्व हासिल होगा। इस मौके को भुनाने के लिए दो बड़े कारोबारी दिग्गज़ मैदान में उतरे है। रूस के सार्वजनिक क्षेत्र के कंपनी रोजनेफ्ट और सऊदी की अरामको इसे खरीदने की दौड़ में काफी आगे दिख रही है। गौरतलब है कि गुजरात के ज़ामनगर की एक ऑयल रिफाइनरी में रोजनेफ्ट की पहले से ही हिस्सेदारी है। अगर रोजनेफ्ट इसे खरीदने में कामयाब रही तो, वो दुनिया के तीसरे सबसे बड़े पेट्रोलियम तेल उपभोक्ता बाज़ार में अपनी धमक का अहसास करवायेगी।
रोजनेफ्ट द्वारा BPCL को खरीदने के कयासों को हवा इसलिए मिल रही है, क्योंकि रोजनेफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से मुलाकात कर, BPCL की खरीदारी में खासा दिलचस्पी दिखायी थी। रोजनेफ्ट सीईओ ने शेयर खरीदने के साथ-साथ BPCL में निवेश करने की भी बात कही।
दूसरी ओर सऊदी पेट्रोलियम दिग्गज़ अरामको भी बोली लगाकर, खरीदारी की दौड़ में अपनी दावेदारी पेश कर सकती है। अभी हाल ही में इस कंपनी ने शेयर बाज़ार में कदम रखा था, देखते ही देखते इसके शेयर्स को निवेशकों ने हाथों-हाथों खरीद लिया। अरामको इस क्षेत्र में काफी अहमियत रखने वाली कंपनी है। केन्द्र सरकार की ओर से जल्द ही इसकी शेयर खरीदारी के लिए बोलियां मंगवायी जायेगी।