एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): हाल ही में जर्मनी (Germany) की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक (Annalena Bareback) ने अजरबैजान से नागोर्नो-काराबाख (Nagorno-Karabakh) इलाके में गोलाबारी तुरंत बंद करने और बातचीत की मेज पर लौटने को कहा। जर्मन विदेश मंत्री का ये बयान नागोर्नो-काराबाख इलाके में अजरबैजान और आर्मेनिया (Azerbaijan and Armenia) के बीच चल रहे संघर्ष के बीच सामने आया है। उन्होनें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्विट कर लिखा कि- “अजरबैजान को तुरंत गोलाबारी रोकनी चाहिये और बातचीत की मेज पर वापस लौटना चाहिए, यही एकमात्र तरीका है जिससे स्थायी शांति संभव है। हम ईयू की अगुवाई में बातचीत का समर्थन करते हैं।”
बेयरबॉक ने आगे कहा कि पिछले कुछ दिनों में यूरोपीय संघ और अमेरिका (EU and US) ने आर्मेनिया और अजरबैजान के साथ तनाव कम करने के बारे में गहन चर्चा की है। उन्होनें दावा किया कि सैन्य कार्रवाई से दूर रहने का बाकू का वादा टूट गया। इस बीच विवादित नागोर्नो-काराबाख इलाके में अजरबैजान के मिलिट्री ऑप्रेशन में कम से कम 27 लोग मारे गये और 200 घायल हो गये। सामने ये भी खब़र आ रही है कि अर्मेनियाई सेना इलाके में इंफैट्री यूनिट के साथ आर्टिलरी और मैकेनाइज्ड इंफैट्री यूनिट्स को भी जंगी मैदान में उतारने जा रही है।
अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने बीते मंगलवार (19 सितंबर 2023) को कहा कि उसने इलाके में आतंकवाद विरोधी ऑप्रेशन शुरू कर दिया है, क्योंकि अर्मेनियाई मीडिया और स्थानीय अधिकारियों ने क्षेत्रीय राजधानी स्टेपानाकर्ट पर भारी बमबारी की जानकारी दी है।
मामले को लेकर काराबाख अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने इलाके में जारी गोलाबारी के बीच अजरबैजान के साथ तुरंत बातचीत के लिये कहा है। जवाब में अज़रबैजान प्रेसीडेंसी ने कहा कि वो कराबाख अर्मेनियाई लोगों से मिलने को तैयार है, इसी मुद्दे पर जारी एक बयान में कहा गया कि, “आतंकवाद विरोधी उपायों को रोकने के लिये, अवैध अर्मेनियाई हथियारबंद गुटों को सफेद झंडा उठाना होगा, सभी हथियारों को आत्मसमर्पण करना होगा, साथ ही अवैध शासन को भंग करना होगा। अगर ये सब नहीं होता है तो आतंकवाद विरोधी उपाय आखित तक जारी रहेंगे।”
बता दे कि नागोर्नो-काराबाख जातीय अर्मेनियाई एन्क्लेव जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अज़रबैजान के हिस्से के तौर पर मान्यता हासिल है, पिछले तीन दशकों में पड़ोसियों के बीच दो बड़ी जंगों की वज़ह रहा है, दोनों के बीच हालिया तौर पर सबसे बड़ी जंग साल 2020 में देखी गयी।
बीते साल दिसंबर में अज़रबैजानी सैनिकों की ओर से लाचिन कॉरिडोर को रोके जाने से नागोर्नो-काराबाख को आर्मेनिया से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क को काटने और यहां रहने वाले लगभग 1,20,000 लोगों के लिये राशन के इम्पोर्ट रोक जाने के बाद से महीनों से इस इलाके में तनाव पसरा हुआ है।