Baba Sahib Ambedkar Jayanti 2021: बाबा साहेब अम्बेडकर जुड़ी दिलचस्प जानकरियां, बेहद कम लोगों को है पता

नई दिल्ली (शौर्य यादव):आज 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्बेडकर अंबेडकर की जयंती (Baba Sahib Ambedkar Jayanti 2021) है। बाबा साहेब को भारतीय संविधान के शिल्पीकार (Craftsman of indian constitution) और भारतीय समाज में अस्पृश्यता के खिलाफ उनके संघर्ष के लिये जाना जाता है। समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, विचारक, राजनीतिज्ञ और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भीमराव रामजी अंबेडकर के रूप में लोकप्रिय बाबासाहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान में उनके अनुकरणीय योगदान को आज भी प्रासंगिक माना जाता है। इस साल बाबा साहेब अंबेडकर की 130 वीं जयंती है।

बीआर अंबेडकर के बारे में जानने के लिये कुछ जरूरी तथ्य-

1. बाबा साहेब समाज सुधारक और दलित आइकन थे। जिन्होंने असमानता और अपने समुदाय के सदस्यों के साथ भेदभाव के खिलाफ बात की थी।

2. वो नेहरू सरकार में कानून और न्याय के पहले केंद्रीय मंत्री और भारत के संविधान के प्रमुख वास्तुकार भी।

3. अंबेडकर के पिता भारतीय सेना (ब्रिटिशर्स द्वारा शासित) में सेवा करते थे और उनके पूर्वजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ काम किया।

4. जातिगत भेदभाव और छुआछूत को नाजायज ठहराने के लिये बाबा साहेब ने मनुस्मृति (Manusmriti) के खिलाफ जोरदार वकालत की और उसकी प्रतियां भी जला दीं।

5. जब उनका हिंदू कोड बिल संसद में पारित नहीं हो पाया तो उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

6. वो धारा 370 के बेहद खिलाफ उग्र थे, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था।

7. भारत के वित्त आयोग की स्थापना के पीछे बाबा साहेब अम्बेडकर का हाथ था। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के वक्त उनकी सलाह और दिशा-निर्देश का उपयोग किया गया ।

8. 31 मार्च 1990 को उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

9. बाबा साहेब ने अपनी पत्नी के साथ साल 1956 बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और उनके कई अनुयायी उस दौरान बौद्ध धर्मावलंबी बन गये।

10. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत लौटने के बाद 1936 में अंबेडकर ने जाति व्यवस्था की खुलकर मुखालफत करते हुए Annihilation of Caste लिखा।

11. बाबासाहेब की निजी लाइब्रेरी “राजगीर” में है। जहां 50,000 से ज़्यादा किताबें थीं। इसे दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी कहा जाता था।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More