नई दिल्ली (शौर्य यादव): मुद्रास्फीति की दर लगातार देश में बढ़ती जा रही है। एक और पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की बढ़ती कीमतें पहले से ही वेतनभोगी वर्ग को परेशान कर रही हैं, उन्हें एक और बड़ा झटका लगने की संभावना है, क्योंकि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर ब्याज दर को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए घटाया जा सकता है। इस कदम का असर 6 करोड़ से ज़्यादा लोगों पर होगा। जिससे सीधे तौर पर उनकी ईपीएफ बचत (EPF savings) के ब़्याज पर नकारात्मक गिरावट देखने को मिलेगी।
पीएफ खाताधारकों को ये बड़ा झटका उस वक़्त लगने जा रहा है, जब उन्हें अभी तक बीते वित्तीय वर्ष के ब़्याज का भुगतान तक नहीं किया गया है। ट्रैंडी न्यूज के स्रोतों के मुताबिक कोरोनोवायरस महामारी के दौरान बड़ी तादाद में ईपीएफ खाते से लोगों ने पैसा निकाला। जिसके कारण पीएफ कंट्रीब्यूशन (PF contribution) में भी कमी आई है। इसी वज़ह से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ब्याज दरों में कटौती का कड़ा फैसला लेने के लिए कदम आगे बढ़ा सकता है। ईपीएफओ केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) नई दरों पर फैसला लेने के लिए 4 मार्च को बैठक करेगा।
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करने का ऐलान किया था। केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने पहले कहा था कि 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में दो किस्तों में 8.5 प्रतिशत की दर से खाताधारकों को ब्याज का भुगतान किया जाएगा। यानि 8.15 प्रतिशत निवेश और 0.35 प्रतिशत ब्याज का भुगतान इक्विटी (Equity) से किया जाएगा।
वित्त वर्ष 2020 में ईपीएफ पर ब्याज 8.5% था, जो कि बीते 7 सालों में सबसे कम ब्याज दर है। इससे पहले वित्त वर्ष 2013 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5% रिकॉर्ड की गयी थी। पिछले साल मार्च महीने में ईपीएफओ ने ब्याज दरों को पुनर्जीवित करने की कवायद छेड़ी। इससे पहले वित्त वर्ष 2019 में, ईपीएफ पर 8.65% ब्याज मिलता था। ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2018 में 8.55% ब्याज दिया, जो उसके पहले वित्त वर्ष 2016 में 8.8% था। इससे पहले वित्त वर्ष 2014 में ये 8.75% था।